
चिनाब ब्रिज पर लगा छत्तीसगढ़ का लोहा (Photo Highest Bridges.com)
Chenab Bridge: जम्मू कश्मीर में बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब ब्रिज को बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट 12000 टन लोहा दिया गया है। छत्तीसगढ़ के भिलाई से भेजा गया उच्च गुणवत्ता वाला स्टील इस पुल की रीढ़ साबित हुआ। देश की धातुशक्ति और तकनीकी दक्षता ने मिलकर इस कठिन भू-भाग में एक ऐसा चमत्कार रच दिया जो आज भारतीय आत्मनिर्भरता और इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक बन चुका है।
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उत्पादित इस्पात का उपयोग बांद्रा-वर्ली सी-लिंक, मुंबई में अटल सेतु, अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग और हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग के निर्माण में हुआ है। इसके अलावा, युद्धपोतों और आईएनएस विक्रांत के निर्माण में भी भिलाई के इस्पात का उपयोग हुआ। बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए बीएसपी ने बड़ी मात्रा में टीएमटी बार्स की आपूर्ति की है।
नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए भी बीएसपी ने टीएमटी उत्पाद दिए हैं। पूरे प्रोजेक्ट में SAIL के अन्य प्लांट्स (IISCO बर्नपुर, दिग्गारपुर, राउरकेला, बोकारो) ने शेष 4,000 टन के आसपास स्टील सप्लाई किए। तो साधारण भाषा में कहें, तो चिनाब ब्रिज की स्टील सामग्री में लगभग 3/4 भाग का योगदान भिलाई प्लांट से ही आया है।
ब्रिज की खासियत
चिनाब नदी पर बना यह पुल 1.3 किलोमीटर लंबा है। यह पुल चिनाब नदी के तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है, जो पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर अधिक ऊंचा है। यह इंजीनियरिंग का एक अनूठा नमूना है, जो 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा और भूकंप के तेज झटकों को सहन करने में सक्षम है। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) के तहत कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबे घुमावदार खंड का हिस्सा है। यह क्षेत्र में आवागमन को आसान बनाएगा।
ब्रिज की इंजीनियरिंग और सुरक्षा
चिनाब ब्रिज में 8 रिक्टर तक का भूकंप सहने की क्षमता है।
यह 260–266 km/h की हवाओं का सामना कर सकता है।
तापमान रेंज−10 °C से +40 °C तक कार्यशीलता
ब्लास्ट प्रूफिंग 40 टन TNT समकक्ष विस्फोट तक सहनशील प्रावधान मौजूद।
Updated on:
20 Jul 2025 01:36 pm
Published on:
20 Jul 2025 01:35 pm
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