
दुर्ग . लंबे समय तक समाज में उपेक्षा और तिरस्कार का दंश झेलने वाले थर्ड जेंडर को न केवल अब विधि सहायता बल्कि कानून की भी मदद मिलेगी। बुधवार को पुलिस लाइन में न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी और समाज कल्याण विभाग ने न केवल उनकी समस्याएं सुनी बल्कि हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया है।
कानूनी तरीके से मदद देने का आश्वासन
शासन की योजनाओं के तहत जिले में थर्ड जेंडर के सदस्यों को मदद दी जा रही है। वहीं अब उनके लिए विधिक सहायता और कानून की जानकारी देने कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। पुलिस और समाज कल्याण विभाग ने बुधवार को पुलिस लाइन स्थित सभागार में थर्ड जेंडरों की न केवल समस्याएं सुनी बल्कि कानूनी तरीके से मदद देने का आश्वासन दिया। जिला विधक सेवा प्राधिकरण के सचिव दिग्विजय सिंह ने किस तरह से वे विधि मदद ले सकते हैं इसकी जानकारी दी। वहीं एएसपी सुरेशा चौबे ने आश्वासन दिया कि अगर वे सही है तो पुलिस कभी उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगी। किसी तरह की शिकायत मिलने पर पुलिस उनका पक्ष जाने बिना एफआईआर नहीं करेगी। इस कार्यशाला में अंजना श्रीवास्तव व समाज एवं कल्याण विभाग के डीडी साहू विशेष रुप से उपस्थित थे।
हवलदार से लेकर एसआई तक शामिल हुए
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह भी था कि थर्ड जेंडरों के साथ किस तरह की समस्या है पुलिस उससे वाकिफ रहे। यहीं कारण था कि इस कार्यशाला में हवलदार से लेकर विवेचना करने वाले अधिकारियों को विशेष रुप से बुलाया गया था। थर्ड जेंडर के सदस्यों को पुलिस अधिकारियों ने ध्यान से सुना।
पहले घर से शुरु होता तिरस्कार
कार्यशाला में लगभग 50 थर्ड जेंडर के सदस्य उपस्थित रहे। उनका कहना था कि तिरस्कार की शुरुआत उनके घरों से प्रारंभ होती है। इसके बाद उन्हें समाज और दुनिया से अपशब्दों (हिजड़ा) को सुनना पड़ता है। ऐसी स्थिति में एक तरह से वे कुठिंत हो जाती है। उनके भीतर समाज के खिलाफ विद्रोह जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। सदस्यों का कहना था कि कई बार उन पर झूठा आरोप लगाया जाता है। रुपए मांगने और मारपीट जैसी घटनाओं के पीछे केवल वहीं जिम्मेदार नहीं है। इसलिए शिकायत की जांच आवश्यक है और अपराध कायम करने के पहले उनका पक्ष भी जानना जरूरी है।
Published on:
27 Dec 2017 03:56 pm
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