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Bhilai News: दो निजी कॉलेजों पर लटकी तलवार, फर्जी आंकड़ों से बढ़ाई मेडिकल की 150 सीटें

Bhilai News: शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज भिलाई की स्थापना 2016 में हुई थी। यहां एमबीबीएस की 150 सीटें थीं। इस साल 100 सीटें बढ़कर 250 हो गई हैं।

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भिलाई

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Love Sonkar

Nov 19, 2025

Bhilai News: दो निजी कॉलेजों पर लटकी तलवार, फर्जी आंकड़ों से बढ़ाई मेडिकल की 150 सीटें

दो निजी कॉलेजों पर लटकी तलवार (Photo Patrika)

Bhilai News: क्या भिलाई स्थित शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज व अभिषेक मिश्रा मेडिकल कॉलेज ने फर्जी मरीजों व फैकल्टी को दिखाकर एमबीबीएस की 150 सीटें बढ़ाईं हैं। दोनों कॉलेजों के खिलाफ एनएमसी को गंभीर शिकायतें की गईं हैं। एनएमसी के आदेश के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग दो कमेटी बनाकर दोनों कॉलेजों की जांच करवा रहा है। जांच के बाद दोनों कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

प्रदेश के किसी निजी मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ पहली बार ऐसी शिकायत की गई है। हालांकि पहले चंदूलाल चंद्राकर निजी कॉलेज के खिलाफ शिकायत हुई थी, लेकिन यह राज्य स्तरीय शिकायत थी। शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज भिलाई की स्थापना 2016 में हुई थी। यहां एमबीबीएस की 150 सीटें थीं। इस साल 100 सीटें बढ़कर 250 हो गई हैं। इसी तरह अभिषेक मिश्रा कॉलेज की स्थापना पिछले साल ही हुई थी और वहां एमबीबीएस की 100 सीटें थीं। इस साल वहां भी सीटें बढ़कर 150 हो गईं हैं। दोनों कॉलेजों का संचालन गंगाजलि एजुकेशन सोसाइटी भिलाई कर रही है।

एनएमसी को की गई शिकायत में कहा गया है कि दोनों ही कॉलेजों ने सीटें बढ़ाने के लिए फर्जी मरीजों की एंट्री दिखाई है। वहीं एनएमसी की हेड काउंटिंग के लिए फर्जी फैकल्टी को दिखाया गया है। इस कारण मरीजों की संख्या बढ़ी हुई दिखी और मान्यता के लिए फैकल्टी भी पर्याप्त हो गए। इसलिए दोनों कॉलेजों में 100 व 50 एमबीबीएस की सीटें बढ़ गईं। दरअसल एमबीबीएस की सीटों के हिसाब से अस्पताल में जरूरी बेड, मरीजों की भर्ती व ओपीडी में मरीजों की निश्चित संख्या की जरूरत होती है। इसके बिना मान्यता में दिक्कत हो सकती है।

हजारों पन्नों की फाइल, आसान नहीं जांच

जांच कमेटी को मामले की जांच में पसीने छूट रहे हैं। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि भर्ती मरीजों व ओपीडी मरीजों के इलाज समिति परचों की फाइल हजारों पन्ने में है। इसलिए कमेटी के लिए यह जांच आसान नहीं है। एक-एक फाइल व पन्नों की जांच की जा रही है ताकि सच्चाई बाहर सामने आए। जांच कब पूरी होगी, यह कहना भी आसान नहीं है। चूंकि कमेटी में तीन अलग-अलग सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अधिकारी व फैकल्टी है इसलिए कई बार नियमित जांच में भी दिक्कतें हो रही हैं। ऐसा जांच कमेटी के छुट्टी लेने के कारण हो रहा है।

एनएमसी से पत्र मिलने के बाद कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने दोनों कॉलेजों की जांच के लिए दो कमेटी बनाई है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि दोनों कमेटी को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन लीड कर रहे हैं। एक कमेटी में डीन व दो एचओडी तथा दूसरी कमेटी में एक डीन, एक एचओडी व एक प्रोफेसर है। ये रायपुर, दुर्ग व राजनांगांव सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए हैं। जांच में काफी गंभीरता बरती जा रही हैं। बताया जा रहा है कि जांच की वीडियोग्राफी भी की जा रही है। चूंकि कॉलेज संचालन एक पॉवरफुल शिक्षा समिति कर रही है इसलिए जांच में काफी गंभीरता बरती जा रही है।

प्रदेश समेत देश के निजी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी व मरीजों में हेराफेरी करना नई बात नहीं है। पत्रिका को जानकारों ने बताया कि फैकल्टी तीन तरह के होते हैं। एक नियमित रूप में कॉलेज में सेवाएं देते हैं। दूसरी किस्म की फैेकल्टी केवल बायोमीट्रिक व एप बेस्ड अटेंडेंस लगाकर कॉलेज से चली जाती है। तीसरी तरह की फैकल्टी वो होती है, जो एनएमसी के निरीक्षण के दौरान अचानक प्रकट हो जाती है। ये कॉलेजों का मैनेजमेंट होता है। इसी के बूते कॉलेजों को मान्यता भी मिल जाती है।

फर्जी मरीजों की भर्ती व फर्जी फैकल्टी की शिकायतें सही नहीं हैं। ये तो जांच के बाद भी स्पष्ट हो जाएगी। एनएमसी ने दोनों कॉलेजों को नियमानुसार मान्यता दी है। - आईपी मिश्रा, चेयरमैन गंगाजलि एजुकेशन सोसाइटी भिलाई