
भिलाई. श्रीशंकराचार्य कॉलेज कैंपस में कतारबंद एक सी यूनिफार्म पहने भूटान के स्काउट और गाइड जैसे ही अंदर आए सिर झुकाकर सभी ने नमस्ते कहकर अभिवादन किया तो जवाब में कॉलेज के युवाओं ने भी कुजू जांग पो कहकर उनका स्वागत किया। भिलाई में अपनी भाषा में स्वागत होता देख सभी के चेहरे ऐसे खिल गए जैसे वे अपने देश में ही हों। सोमनी में होने वाले जंबूरी कैंप में शामिल होने आए भूटान के 34 बच्चे और 4 शिक्षकों ने गुरुवार को मिनी इंडिया को करीब से जाना। कॉलेज में जहां उन्होंने मोटिवेशनल स्पीक नंदितेश निलय को सुना तो शहर की सबसे बड़ी रसोई अक्षयपात्र को भी करीब से देखा। शहर के टे्रजर आईलैंड मॉल में सभी ने मिलकर खूब मस्ती की।
समय के साथ करें अभिव्यक्ति
कॉलेज में मोटिवेशनल स्पीकर डॉ नंदितेश निलय ने कहा कि नाम केवल पुकारने की चीज नहीं है, आपके कर्मों की समीक्षा नाम से होती है, पद और शोहरत तो ले ली जाती है, जोश और हिम्मत शरीर के थकने के साथ खत्म हो जाएगी लेकिन नाम रह जाएगा। इस दुनिया में सभी मुश्किल काम आसान है और सभी आसान कार्य मुश्किल है। जैसे सुबह उठकर पढऩा, योग करना, दौडऩा आसान है लेकिन हमने इसे मुश्किल कर दिया है। किसी की शिकायत करना मुश्किल है लेकिन अब आसान हो गया है। उन्होंने युवाओं को सुबह उठकर पढऩा सभी उम्र के लोगों के लिए आवश्यक है जो हमें जीवन का उद्देश्य प्रदान करता है। इस अवसर पर भूटान स्काउट प्रशिक्षक ताशी वेंगचुक, वानेदुबा, ताशी पिनोर, और संग्येहैम्पा के साथ पहुंचे 34 बच्चों सहित कल्याण कॉलेज के डॉ आरपी अग्रवाल, कॉलेज के एडिशनल डॉयरेक्टर डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव सहित कई लोग मौजूद थे।
पहली बार देखी स्टेशन में लिफ्ट
भूटान से दुर्ग पहुंचे स्काउ्टस ने पहली बार स्टेशन में लिफ्ट देखी। वहां के छात्रों ने छत्तीसगढ़ की तारीफ कर कहा कि यहां लोग आगे बढ़कर मदद करते हैं। भूटान से आई सोनम यांगचेन, टी. शैली ने बताया कि वहां कभी भी ***** भेद नहीं होता। वहां स्काउट एंड गाइड के बदले केवल स्काउट्स बुलाया जाता है और वे चाहें तो सारी जिंदगी स्काउट्स बने रह सकते हैं। उन्होंने भारतीय महिलाओं के पहनावे और भारतीय विवाह की परंपराओं और रस्मों की भी तारीफ की। इस मौके पर उन्होंने भारतीय व्यंजनों का भी स्वाद चखा और जमकर तारीफ की।
Published on:
28 Dec 2017 09:29 pm
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