
BSP कर्मचारियों को क्यों नहीं मिल रहा हक?(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में बीएसपी के नगर सेवाएं विभाग आवासों को कब्जे से मुक्त करवाता जा रहा है। इस मामले में बीएसपी की यूनियन सीटू ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। यूनियन का कहना है कि अगर प्रबंधन आवासों को कब्जे से मुक्त करवा रहा है तो मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) स्तर के अधिकारियों को छोटे मकान या भिलाई निवास में क्यों रहना पड़ रहा है। बीएसपी की कार्रवाई पर यूनियन ने इस तरह से बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। बीएसपी के कर्मचारी आज भी बड़े आवासों के लिए तरस रहे हैं। उनको छोटे आवास ही मिल रहे हैं। बीएसपी, नगर सेवाएं विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
यूनियन का तर्क है कि नगर सेवाएं विभाग जिन रिटेंशन स्कीम के आवासों को खाली करवा रहा है। क्या उन्हें उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को दिया जाएगा। वर्तमान में बीएसपी कर्मियों व अधिकारियों के कब्जे में रहने वाला आवास अस्थाई कब्जे के दायरे में आता है।
वहीं प्रशासनिक अधिकारी के कब्जे में चला गया तो उसे खाली करवा पाना बीएसपी के बस की बात नहीं होगी। प्रबंधन खुद इसको लेकर लिस्ट जारी कर दे कि कितने बड़े आवास प्रशासनिक अधिकारियों की जद में हैं तो सब कुछ साफ हो जाएगा।
यूनियन ने कहा कि बाहरी तत्वों से जब भी टाउनशिप के अधिकारियों के साथ टकराहट की स्थिति आई है। यही एनफोर्समेंट के अधिकारी यूनियन प्रतिनिधियों से रात-बेरात सहयोग की अपील की है। तब सीटू व अन्य यूनियनों ने हमेशा उनका साथ दिया है। संयंत्र में अपने 35-40 साल सेवा देने वाले कर्मचारी व अधिकारियों के प्रति इस तरह का रवैया उनके समर्पण व ईमानदारी को ठेस पहुंचा रहा है।
सेफ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अधिकारियों के कब्जे से बीएसपी और अन्य इकाइयों के आवासों को मुक्त करवाने की मांग की है। दूसरी ओर बीएसपी फिर एक बार बड़े मकानों को प्रशासनिक अधिकारियों को देने के लिए खाली करवा रहा है।
एक प्रशासनिक अधिकारी को आवास देने के नाम पर संयंत्र में लंबे समय तक सेवा करके सेवानिवृत्त हुए अधिकारी के रिटेंशन आवास को दलबल के साथ जाकर खाली करवाया गया। तालपुरी डायरेक्टर बंगला के बाद भिलाई में कहीं सबसे बड़े आवास हैं तो वह 32 बंगला है। कभी ये सब बंगले बीएसपी के हुआ करते थे। अब इनमें से एक बंगला छोड़कर बाकी सभी शासन-प्रशासन या नेताओं के कब्जे में है।
क्या नगर सेवाएं विभाग कभी इन बंगलों को खाली करवा कर अपने कब्जे में ले पाएगा। यह बंगले जिन भी अधिकारियों, नेताओं या कार्यालय के अधीन है। क्या नगर सेवाएं विभाग ने उनको आवंटित किया है। किया है तो किन नियमों के तहत यह सब संभव हो सका। इसे सार्वजनिक करना चाहिए अन्यथा उन कब्जे वाले बंगलों को खाली करा कर प्रबंधन को इन बंगलों का सही उपयोग करना चाहिए।
वर्तमान में भी बीएसपी के सीजीएम स्तर के अधिकारी छोटे आवासों में रह रहे हैं। ग्रेड के मुताबिक उनको आवास नहीं मिल रहा है। तबादला होकर आने वाले मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी को वक्त पर आवास उपलब्ध न होने के कारण भिलाई निवास की शरण में जाना पड़ता है। उसके बाद वे छोटे मकान आवंटित करवा कर उसमें रहने लगते हैं। उनको बेहतर आवास देने के लिए कभी भी कोई प्रयास नहीं हुआ।
Published on:
28 Jul 2025 10:41 am
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