
150 tons of fiber will be made daily by plastic bottles in bhilwara
भीलवाड़ा
वस्त्रनगरी के टेक्सटाइल उद्योग ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम बढ़ाया। मांडल क्षेत्र के नानकपुरा में अगले माह एेसा प्लांट शुरू होने जा रहा है, जिसमें प्लास्टिक की खराब हुई बोतलों से फाइबर बनाया जाएगा। १५० करोड़ की लागत का प्लांट मई में शुरू होना था लेकिन लॉकडाउन के चलते अटक गया था। प्लांट में लगभग १५० टन फायबर प्रतिदिन बनेगा। इसके लिए १७० टन प्लास्टिक बोतलों की जरूरत होगी। इस फाइबर से यार्न मिक्स धागा, कपड़ा व वाहन हुड का कपड़ा बनेगा। प्रदेश का यह चौथा प्लांट होगा। इससे पहले सीकर के रींगस, जयपुर के शाहपुरा व भीलवाड़ा के लाम्बियाकलां में एेसे ही प्लांट चल रहे हैं।
कंचन ग्रुप के एमडी दुर्गेश बांगड़ ने बताया कि नानकपुरा प्लांट के लिए देशभर से खराब प्लास्टिक बोतलें मंगाई जाएगी। यह पॉलियस्टर फायबर होता है जो स्पिनिंग मिलों में यार्न बनाने के काम आता है। यह यार्न पहनने के काम आने वाले पॉलिएस्टर, पॉलिएस्टर विस्कॉस कपड़े सहित सोफा, सीट व गद्दा कवर, टेक्निकल टेक्सटाइल के सभी सेगमेंट में काम आएगा। तैयारी पूरी हो गई। चीन से इंजीनियर आते ही अगले माह प्लांट शुरू हो जाएगा।
पहला प्लांट बना रहा ४५ टन रोज
जिले में इससे पहले लाम्बियाकलां में एेसा ही प्लांट है, जो रोजाना ४५ टन फायबर बनाता है। यह फायबर संगम व कंचन की स्थानीय इकाइयां काम में लेती है। इससे माल लुधियाना, पानीपत व गुना भी जा रहा है। लाम्बियाकलां प्लांट के प्रबंधक नरेश अग्रवाल का कहना है कि १६-१६ टन के दो कंटेनर जल्द बांग्लादेश भेजे जाएंगे। बांग्लादेश से यह पहला ऑर्डर मिला है। अभी दक्षिण भारत से प्लास्टिक बोतलें आ रही है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुसार देश में सर्वाधिक प्लास्टिक कचरा बोतलों से आता है। करीब १००० किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन है। इसमें 10-१५ प्रतिशत प्लास्टिक कचरा रि-साइकिल होता है। बाकी पर्यावरण के लिए नुकसानदायी है। टेक्सटाइल उद्यमियों की पर्यावरण संरक्षण की यह पहल सराहनीय है। जिले में एक प्लांट चल रहा है। दूसरा शुरू होने जा रहा है। दोनों प्लांट इको फ्रेंडली हैं।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण मंडल
Published on:
11 Jun 2020 10:51 am
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