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डीएमएफटी फंड का 30 फीसदी पैसा सड़क, पुल, रेलवे व जलमार्ग परियोजनाएं पर होगा खर्च

- सरकार ने जारी किया डीएमएफडी के लिए गजट

30 percent of DMFT fund will be spent on road, bridge, railway and waterway projects
30 percent of DMFT fund will be spent on road, bridge, railway and waterway projects

सरकार की ओर से डीएमएफटी फंड को लेकर जारी नई गाइड लाइन के तहत अब प्राप्त राजस्व में से 30 प्रतिशत राशि का उपयोग प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए खर्च हो सकेगा। इसमें मुख्य रूप से खनिज प्रभावित क्षेत्र में सड़क, पुल, रेलवे और जलमार्ग परियोजनाओं, चेक डैम और डायवर्जन, ऊर्जा व वाटरशेड विकास तथा पर्यावरण क्षेत्र शामिल होंगे। सरकार ने 12 जून को जारी गजट नोटिफिकेशन के तहत यह बदलाव किया है।

खनिज विभाग के अनुसार हर साल डीएमएफटी फंड में भीलवाड़ा जिले से करीब 400 से 450 करोड़ रुपए की प्राप्ति होती है। इस राशि में से 30 प्रतिशत खनिज प्रभावित क्षेत्र में भौतिक अवसंरचना सड़क, पुल, रेलवे व जलमार्ग परियोजनाएं में व्यय होगा। सिंचाई क्षेत्र के आधार पर चेक डैम और डायवर्सन वियर सहित सिंचाई के वैकल्पिक स्रोतों का विकास, उपयुक्त व उन्नत सिंचाई तकनीकों को अपनाना, ड्रिप सिंचाई सहित सूक्ष्म सिंचाई सुविधाओं के लिए सहायता, बोरवेल और पंप ऊर्जाकरण के लिए सहायता करना। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों (सूक्ष्म-जलविद्युत, विकेन्द्रीकृत सौर या अन्य नवीकरणीय स्रोतों) और वर्षा जल संचयन प्रणाली का विकास। चारागाहों, एकीकृत खेती और कृषि वानिकी का विकास और जलग्रहण क्षेत्रों की बहाली करना शामिल है। इसके अलावा खनन प्रभावित क्षेत्र में पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कोई अन्य योजना पर राशि का उपयोग किया जा सकेगा। हालांकि योजनाओं और लाभार्थियों की पहचान के लिए ग्राम सभा की मंजूरी आवश्यक होगी। प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद संबंधित गांव में ट्रस्ट के अधीन किए गए कार्यों की रिपोर्ट ग्राम सभा में करनी होगी।

स्वास्थ्य सेवा के ढांचे में कर सकते सुधार

राज्य और केंद्र सरकार के मौजूदा स्वास्थ्य सेवा ढांचे में सुधार के लिए आपसी तालमेल के साथ सुधार किया जा सकता है। खनन से संबंधित बीमारियों और रोगों की देखभाल के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को डिजाइन करने, खनन प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल स्वास्थ्य सेवा शुरु करने। खनन प्रभावित व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए समूह बीमा योजना लागू की जा सकती है।

कम राजस्व वाले जिलों को यह करना होगा

पचास करोड़ से अधिक वार्षिक संग्रह वाला ट्रस्ट योजना, तकनीकी, लेखा एवं निगरानी सहायता के लिए परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) स्थापित करेंगे। ऐसे पीएमयू की लागत प्रशासनिक व्यय से पूरी की जाएगी। पीएमयू अनुबंध के आधार पर आवश्यक योग्य जनशक्ति को नियोजित कर सकता है। ट्रस्ट के तहत परियोजनाओं के लिए कार्मिकों की नियुक्ति केवल सीमित अवधि के लिए होगी।

10 प्रतिशत राशि एफडी में होगी जमा

जिन जिलों का वार्षिक संग्रह दस करोड़ या इससे अधिक है, वे भविष्य के आवर्ती व्ययों के लिए बैंक खाते में एफडी करा सकेंगे। स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए वार्षिक प्राप्तियों के दस प्रतिशत से अधिक की राशि एफडी में जमा होगी। एफडी को सरकारी प्रतिभूतियों, बांडों और राष्ट्रीयकृत या अनुसूचित बैंकों की सावधि जमा रसीदों और सरकार की ओर से अनुमत साधनों में निवेश कर सकते है।