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भामाशाह बीमा योजना में नए नियम से बढ़ी परेशानी:  जान बचाएं या पंजीयन कराएं

भामाशाह बीमा योजना में कम्पनी अस्पताल में भर्ती होने के एक घंटे के भीतर पंजीयन कराने वालों को ही इसका लाभ दे रही है

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Bamashah insurance scheme in bhilwara

Bamashah insurance scheme in bhilwara

भीलवाड़ा।

भामाशाह बीमा योजना में कम्पनी अस्पताल में भर्ती होने के एक घंटे के भीतर पंजीयन कराने वालों को ही इसका लाभ दे रही है। कंपनी ने पंजीयन की समय सीमा जब से 48 घंटे से घटाकर एक घंटा की है, लाभार्थियों की संख्या तेजी से घटी है। जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी चिकित्सालय में आने वाले मरीज अगर भर्ती होने के बाद एक घंटे के भीतर भामाशाह बीमा योजना का पंजीयन नहीं कराते है तो उन्हें इस योजना के लाभ से वंचित होना पड़ेगा।

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परिजनों को यह समझ नहीं आ रहा कि वे गंभीर मरीज को पहले इलाज के लिए भर्ती कराएं या भामाशाह के लिए पंजीयन कराने ले जाएं। पंजीयन करते वक्त मरीज का लाइव फोटो लेने के साथ ही बायोमेट्रिक मशीन से अगूंठे का निशान लेना पड़ता है। मरीज को छूट्टी मिलने के बाद भी यही प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है।
मरीज के परिजन कई बार अचानक तबीयत बिगडऩे पर सीधे अस्पताल ले आते हैं। जल्दी-जल्दी में उनसे भामाशाह कार्ड घर छूट जाता है। एेसे में वह जानकारी मिलने पर भामाशाह कार्ड लेने घर जाता है, तब तक समय निकल जाता है और मरीज भामाशाह बीमा योजना के लाभ से वंचित हो जाता है। कई मरीज ग्रामीण क्ष्ेत्र से आते है तो परिजन भामाशाह कार्ड लाते ही बाद में हैं।

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अस्पताल में नहीं लेपटॉप

भामाशाह बीमा योजना में बेड पर ही मरीजों का पंजीयन होना चाहिए। इसके लिए अस्पताल में लेपटॉप होना जरूरी है, ताकि भर्ती मरीज के बेड पर जाकर उसका पंजीयन किया जा सके, लेकिन महात्मा गांधी चिकित्सालय में अब तक लेपटॉप ही नहीं खरीदा गया।

कम हो गए लाभार्थी
योजना में पंजीयन की अवधि ४८ घंटे से घटाकर एक घंटा करने के नियम के बाद लाभार्थियों की संख्या तेजी से कम हो गई। भामाशाह बीमा योजना में एमजी अस्पताल में वर्ष 2017 में 4525 मरीजों ने लाभ लिया, लेकिन 13 दिसम्बर 2017 को पंजीयन की समय सीमा 48 घंटे से घटाकर 1 घंटा कर देने से लाभार्थी कम हो गए। साढे चार माह में केवल 932 रोगी ही लाभान्वित हुए। रोजाना एक दर्जन से अधिक मरीज केवल समय सीमा के कारण इस योजना के लाभ से वंचित हो रहे है। अगर एक ही समय में 15 मरीज भर्ती कर लिए जाए तो उनमें से केवल पांच मरीजों का ही योजना में पंजीयन हो पाता है। एक मरीज के पंजीयन में 10 से 15 मिनट लग जाते है। कंप्यूटर एक ही होने से शेष कई मरीजों का नम्बर एक घंटा में आता है। इससे मरीज को बैरंग लौटना पड़ता है।

समय सीमा बढ़ाना हमारे हाथ नहीं
मरीजों को परेशानी ना हो, इसके लिए लेपटॉप व बायोमेट्रिक मशीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही मरीजों के पंजीयन बेड पर ही कर लिए जाएंगे। समय सीमा को बढ़ाना हमारे हाथ की बात नहीं।
डा. एसपी आगीवाल, पीएमओ महात्मा गांधी अस्पताल भीलवाड़ा