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एक-एक लाख तो मिल ही जाएंगे, बाकी रकम अधरझूल में

locationभीलवाड़ाPublished: Sep 03, 2018 01:59:38 am

Submitted by:

mahesh ojha

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Bhilwara mahila arban co oprative bank scandel

Bhilwara mahila arban co oprative bank scandel

भीलवाड़ा।

महिला अरबन को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारकों को धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। कई खाताधारकों के 10 से 70 लाख रुपए तक जमा हैं। अब उन्हें एक लाख रुपए राशि तो मिल ही जाएगी। शेष राशि कब मिलेगी इसकी कोई भी गारन्टी नहीं ले रहा है। एक लाख रुपए के लिए भी सरकार की ओर से लगाए जाने वाले लिक्विडेटर को इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआइसीजीसी) में क्लेम करना होगा। लिक्विडेटर को खाताधारकों की सूची तैयार करनी होगी। इसमें दो माह का समय मिलेगा।
यह है प्रक्रिया

बैंक में खातेधारकों 59 करोड़ 16 लाख रुपए जमा (देनदारी) है। डीआइसीजीसी बैंक जमाओं को इंश्योरेंस सुरक्षा प्रदान करती है। यह भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सीडियरी है। किसी बैंक का लिक्विडेशन हो जाता है तो एक लाख रुपए की रकम लिक्विडेटर के माध्यम से खाताधारक को मिलती है। लिक्विडेटर को दावा राशि की सूची डीआइसीजीसी में पेश करनी होगी है। वहां से 25 करोड़ से अधिक की राशि मिलने पर ही डिपोजिटर को पैसा मिलता है। बीमा क्लेम की राशि मिलने के बाद बैंक में भुगतान की राशि आती है, तो वह पुन: डीआइसीजीसी में जमा करानी होती है।
लगता है प्रीमियम

इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम लगता है, लेकिन डिपोजिट इंश्योरेंस मामले में प्रीमियम बीमित बैंक की ओर से अदा किया जाता है। यह रकम काफी कम होती है। एेसे में खाताधारकों से कटौती नहीं की जाती है। बैंक हर साल १५ लाख से अधिक की राशि डीआइसीजीसी में जमा कराता था। लिक्विडेटर लगने के बाद डीआइसीजीसी बैंक के सावधि जमा राशि का भुगतान बैंक के जमाधारकों को करती है। डीआईसीजीसी पूरी राशि का भुगतान नहीं करता है, ये केवल ब्याज और मूल राशि सहित एक लाख रुपए तक का भुगतान करती है।
ऐसे मिलेगी राशि


बैंक में किसी ने 80 हजार रुपए जमा किए हैं। इसमें 9 हजार की ब्याज राशि भी शामिल है। बैंक पूरी राशि नहीं दे पाता तो डीआइसीजीसी 89 हजार रुपए का भुगतान करेगी। हालांकि फिक्स्ड डिपॉजिट दो लाख रुपए हैं, तो सिर्फ एक लाख ही मिलेंगे। देश में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक बीमा कराते हैं। यह भी सवाल है कि एक ही बैंक की दो शाखाओं में जमा कुल राशि 1.5 लाख है, तो भी खाताधारक को एक लाख रुपए ही मिलेंगे। अलग-अलग बैंक होने तथा दोनों बैंकों में लिक्विडेटर लगा हो तो वहां एक-एक लाख की राशि मिल सकती है।
नए बोर्ड ने वसूल किए थे 4.55 करोड़
21 दिसम्बर को नए बोर्ड का गठन होने तथा अध्यक्ष पायल अग्रवाल के बैंक की कमान हाथ में लेने के बाद से लाइसेन्स निरस्त होने तक लगभग 4.55 करोड़ रुपए की राशि वसूल की गई है। जब लेनदेन पर रोक लगी बैंक के पास मात्र २६ लाख रुपए थे।
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