
Bhilwara News : भीलवाड़ा जिले में अब सरकारी स्कूलों के बच्चे अमरूद को जामफल, प्याज को कांदा, पहाड़ को टेकरी और बकरी को छ्याळी पढ़ते हुए दिखेंगे। नई शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा पर जोर देने की नीति लागू करने से ऐसा होगा। इसके लिए आरएससीईआरटी ने प्रदेश में संभागवार भाषाई सर्वे करा लिया है। अब स्थानीय बोली व भाषाओं के आधार पर शब्दकोष तैयार करा पाठ्यक्रम तैयार करने की कवायद की जा रही है। इससे आगामी सत्रों में लागू किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के तहत भाषाई आधार पर सर्वेक्षण पूरा कर शाला दर्पण पर मैपिंग कर ली गई है। स्थानीय बोलियों व भाषाओं के आधार पर शब्दकोष तैयार कर उनके आधार पर पाठ्यक्रम तैयार करना प्रस्तावित है।
नई शिक्षा नीति के तहत सर्वे में कक्षा एक के बच्चों व उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों की भाषा की जानकारी ली है। इसमें बच्चों के नाम के साथ उनके घर की भाषा, शिक्षक की भाषा, स्कूल का माध्यम, माध्यम भाषा को समझने व बोलने की विद्यार्थियों की क्षमता के स्तर आदि का सर्वे कर उसे शाला दर्पण पर अपलोड कराया गया था।
विश्व के कई देश मातृभाषा में शिक्षा दे रहे हैं। इनमें जापान, जर्मनी, इटली, इजराइल, चीन, रूस सहित कई देश शामिल हैं। यूनेस्को भी मातृभाषा में पढ़ाई की पैरवी कर चुका है। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोध भी पढ़ने-समझने के लिहाज से मातृभाषा में शिक्षा की वकालत कर चुके हैं। जिसके बाद से कई देश इस पर काम कर रहे हैं।
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Published on:
11 Mar 2024 01:56 pm
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