
CM Water Swavalamban Scheme in bhilwara
भीलवाड़ा।
भाजपा सरकार की सबसे अहम मुख्यमंत्री के नाम पर जल स्वावलंबन योजना से आखिरी साल में जनता ने किनारा कर लिया है। योजना की शुरुआत में उद्योगपति, सामाजिक संगठन व कर्मचारी संगठनों ने खूब उत्साह दिखाया था। इससे जल स्वावलंबन के काम गोद लेकर खुद उन्होंने ही कराए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, जल स्वावलंबन के काम अन्य योजनाओं की तुलना काफी घटिया हुए। इससे कई एनिकट पहले ही साल में टूट गए। जनता, उद्योगपति व सामाजिक संगठन सहित अन्य दानदाताओं को लगा कि यह केवल पैसों की बर्बादी है। इस कारण उन्होंने दूसरे साल में सरकार को पैसा देने में रुचि कम दिखाई। तीसरे साल में भीलवाड़ा के उद्योगपतियों ने बिल्कुल मुंह फेर लिया। योजना के दूसरे चरण में कभी प्रदेश में नंबर वन रहे भीलवाड़ा जिले में आखिरी साल में मात्र 34 लाख रुपए की मदद मिली है।
तीसरे चरण में जनसहयोग व सीएसआर के तहत मात्र अब तक 28 कार्यों पर मात्र 34.33 लाख रुपए के काम चल रहे है। प्रथम चरण में जनसहयोग से 229 कार्यों पर 222.56 लाख के कार्य हुई। दूसरे चरण में यह आंकड़ा आंधे से कम रह गया। इस चरण में केवल 71 कार्य 135.17 लाख के काम ही हो पाए है। तिसरे व अन्तिम साल में इनकी संख्या 28 कार्य तक सीमट गई तथा राशि भी 34 लाख रह गई।
दूसरे चरण में थे अव्वल
योजना में दूसरे चरण में भी अधिकारियों ने गहरी रूचि दिखाई थी। नतीजा यह रहा है प्रदेश में भीलवाड़ा अव्वल रहा था। इसे लेकर रायपुर ब्लॉक का फोटो रोडवेज की हर बस पर लगाया गया।
स्वायत शासन विभाग के बाहर आज भी रायपुर ब्लॉक का फोटो सहित बड़ा होर्डिंग लगा रखा है लेकिन अब सरकार की अन्तिम साल होने व इस योजना का भी अन्तिम साल होने से कोई भी सहयोग को तैयार नहीं है। हालांकि कुछ कार्य ऐसे भी रही जिसके कारण क्षेत्र का जलस्तर भी बढ़ा है। आखिरी साल में काम नहीं होने पर प्रभारी अधिकारी रजत मिश्र ने भी नाराजगी जताई थी।
इसलिए चलाया था अभियान
पेयजल के साथ सिंचाई व भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए यह अभियान चलाया था। गांव का पानी गांव में रोकने के लिए एनिकट बनाए गए थे। छोटे टांके बनाए गए ताकि पानी रुके और भूमिगत जल स्तर बढ़े। कुछ काम अच्छे हुए लेकिन तीसरे साल में योजना फेल हो गई। कारण है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। एेसे में भामाशाहों ने भी सरकार से हाथ खींच लिए। अब भामाशाहों को भी लगने लगा है कि उनके सहयोग से कराए जा रहे कार्य सफल नहीं हो पा रहे है और ना ही उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कोई प्रयास किया जा रहा है।
वर्ष 2016-17
स्थिति ग्राम पंचायत 54
गांवों का चयन 148
कार्य हुए 3177
जनसहयोग से कार्य 229
सहयोग राशि (लाखों में) 222.56
नकद राशि(लाखों में) 98.3 लाख
02. वर्ष 2017-18
स्थिति ग्राम पंचायत 80
गांवों का चयन 185
कार्य हुए 3826
जनसहयोग से काय 71
सहयोग राशि (लाखों में) 135.17
नकद राशि 00.00
वर्ष 2018-19
स्थिति ग्राम पंचायत 80
गांवों का चयन 191
कार्य हुए 4204
जनसहयोग से कार्य 28
सहयोग राशि(लाखों में) 34.33
नकद राशि 00.00
दसवें स्थान पर भीलवाड़ा
तीसरे चरण के काम शुरू होते इससे पहले माण्डलगढ़ उपचुनाव के कारण अचार संहिता लग गई थी। डीपीआर भी देरी से स्वीकृत हुई। टैण्डर भी देरी से ही जारी हो पाए। इससे जिले की प्रगति धीमि होने से भीलवाड़ा दसवें स्थान पर है। जनता का सहयोग भी कम ही देखने को मिल रहा है।
जगदीश बडगुर्जर, अधिशासी अभियन्ता मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन
Published on:
09 May 2018 12:37 pm
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