
अमरीकन केसर की खेती ने खोली तरक्की की राह
जम्मू-कश्मीर की ठंडी वादियों में पैदा होने वाली केसर व उसकी खुशबू अब अमरगढ़ क्षेत्र के रतनपुरा के एक गांव में भी महकने लगी है। कुसुम के फूल यानी अमरीकन केसर, जो बाजार में हजारों रुपए किलो के भाव से बिकती है,की खेती होने लगी है। इसके जरिए यहां के किसान तरक्की का रास्ता खोल चुके हैं।
रतनपुरा में चार साल पहले मुकेश धाकड़ ने एक बीघा में कुसुम के फूल यानी अमरीकन केसर की बुवाई की। कम लागत में अच्छा मुनाफा हुआ तो दूसरे साल इसी गांव के करीब 10 किसानों ने इस फसल की बुवाई की। इसके बाद इस गांव के लोगों में केसर की खेती का रुझान बढ़ा। तीसरे साल 30 से अधिक किसानों ने बुवाई कर मुनाफा कमाया। इस साल 50 से अधिक किसानों ने अमरीकन केसर की बुवाई की।फसल तैयार हो चुकी है और केसर के फूल किसान चुन रहे हैं। उम्मीद है कि इस बार मंडी में अच्छा भाव मिलेगा।
80 हजार तक की कमाई
ओमप्रकाश धाकड़ और नंदलाल बलाई ने बताया कि कम लागत में अच्छा मुनाफा होने पर गांव में इसका रुझान बढ़ा है। एक बीघा फसल बुवाई में करीब 5 हजार खर्चा आता है। कमाई 80 हजार रुपए तक हो जाती है।
जैविक खाद फसल को देता ग्रोथ
कृषि सलाहकार बताते हैं कि फसल को तैयार करने के लिए रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है। जैविक तरीके से गोबर का खाद डालकर अक्टूबर में बोई जाती है। इसमें केवल खुदाई लुराई के अलावा कुछ नहीं करना पड़ता है। 5 माह बाद मार्च में फूलों के डोडे निकल आते हैं। 15 से 30 दिन बाद फूलों व बीजों को अलग करके समेटा जाता है। इसके बीजों का तेल एडिबल ऑयल बनाने में काम आता है। इसके फूल और बीज नीमच की मंडी में अच्छे भाव में बिक जाते हैं।
केसर का यूं होता उपयोग
केसर का उपयोग खाने, दवाओं और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों में किया जाता है। इसके विपरीत कुसुम में कोई सुगंध नहीं होती है। इसका उपयोग प्राकृतिक रंग निकालने, तेल व साबुन बनाने तथा अन्य कई उत्पादों में किया जाता है। भी
Published on:
23 Mar 2024 12:12 pm
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