
Desi gun made to guard the fields
शहर के सूचना केंद्र चौराहे पर रविवार दोपहर धमाका सुन हर कोई ठिठक गया। चौराहे पर दो महिलाएं हाथों में प्लास्टिक के पाइप से धमाके कर रही थी। नजारा देखने लोग जमा हो गए। ये देशी जुगाड़ से बनाई गन थी। इससे किसान खेतों में जंगली जानवर व पक्षियों को भगाने में इस्तेमाल करते हैं। गन बेचने कई लोग महाराष्ट्र के आकोला से आए हैं। शहर के आसपास गांवों में फेरी लगाकर देशी गन बेच रहे हैं।
देशी गन की आवाज बंदूक जैसी है। फायरिंग का खर्च भी महज दो रुपए है। इससे नीलगाय व आवारा पशुओं व पक्षियों को बिना नुकसान पहुंचाए खेत से दूर भगाने में काम लिया जाता है। गन की आवाज एक किलोमीटर तक सुनाई देती है। आकोला निवासी चन्द्रकला ने बताया कि देशी गन से फायरिंग करने के लिए कार्बाइड और एक ढक्कन पानी की जरूरत होती है। इसे बनाने के लिए प्लास्टिक के पाइप और गैस लाइटर की जरूरत है। शादी-ब्याह में भी लोग पटाखों की जगह इसे काम में ले सकते है। गन से प्रदूषण भी नहीं फैलता।
गन बनाने में न्यूनतम खर्चा
चन्द्रकला ने बताया कि देशी गन बनाने में करीब 150 से 180 रुपए का ही खर्च आता है। बाजार में इसे 200 रुपए में बेचा जा रहा है। यह देशी गन किसानों के लिए कम खर्च में काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
Published on:
23 Sept 2024 10:17 am
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