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सहकारी समितियों के जरिए गांव-गांव पहुंचेगी डिजिटल क्रांति

-भीलवाड़ा की 359 पैक्स होंगी कंप्यूटराइज्ड -पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना के तहत 31 दिसंबर तक पूरा होगा काम - तीन लाख किसानों को मिलेगा सीधा लाभ

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Digital revolution will reach every village through cooperative societies

Digital revolution will reach every village through cooperative societies

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना के तहत अब राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति की लहर आने वाली है। भारत सरकार की ओर से प्रथम चरण में चयनित भीलवाड़ा जिले की सभी 359 ग्राम सेवा सहकारी समितियां (पैक्स) वर्ष 2025-26 तक पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड हो जाएंगी। इस योजना का लक्ष्य प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के अनुरूप आत्मनिर्भर बनाना है। इससे ये समितियां किसानों के लिए 'वन-स्टॉप-शॉप' के रूप में काम कर सकें। योजना की स्थिति

भीलवाड़ा जिले की 378 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में से 359 समितियां प्रथम चरण में चयनित की गई हैं। इसके लिए नाबार्ड की ओर से सभी 359 पैक्स के लिए सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया है, और व्यवस्थापकों को प्रशिक्षित ट्रेनर्स के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। सभी 359 समितियों को 31 दिसंबर तक कंप्यूटराइज्ड करने और उनका ऑडिट पूरा करने का लक्ष्य है। इनमें से 347 पैक्स कंप्यूटराईज्ड हो चुकी है तथा 135 पैक्स का वर्ष 2024-25 का ऑनलाईन ऑडिट कार्य भी पूर्ण हो चुका है। 300 से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर सुविधाएं कंप्यूटरीकरण प्रभावी होने के बाद ये पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में कार्य करेंगी और लगभग 300 प्रकार की सुविधाएं गांव के स्तर पर उपलब्ध कराएंगी। प्रमुख सुविधाएं जो किसानों को पैक्स पर मिलेंगी किसानों को बैंकिंग सुविधाएं, वाहन और स्वयं का बीमा। आधार कार्ड बनाना, अपडेट करना, पैन कार्ड, जन्म या आय प्रमाण पत्र बनाना। क्रेडिट स्कोर सूचना जनित करना, ई-मित्र वाली सुविधाएं, गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाना, विभिन्न प्रकार के बिल जमा करना। केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं से किसानों को जोड़ना।

पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी

पैक्स के मुख्य कार्यों ऋण देना, ऋणों की उगाही करना, और वितरण एवं विपणन, को कंप्यूटरीकरण के माध्यम से ऑनलाइन किया जा रहा है। इससे वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी। वर्तमान में, 378 में से 304 पैक्स की कॉमन सर्विस सेन्टर के रूप में कार्य करने के लिए आईडी जनरेट हो चुकी है। शेष समितियों की आईडी एक्टिव करने की कार्रवाई जिला स्तर पर जारी है। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों को आधुनिक डिजिटल सेवाओं से सीधे जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ऑनलाइन सेवाओं का मिलेगा लाभ

कंप्यूटरीकरण के माध्यम से जिले के लगभग 3 लाख किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। किसान को अब बैंक की शाखाओं के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। उन्हें ग्राम स्तर पर ही ऑनलाइन बैंकिंग और अन्य सभी सुविधाएं सहकारी समिति पर मिल पाएंगी।

आलोक चौधरी, प्रबंध निदेशक, दी सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक लि., भीलवाड़ा