
Free bicycles distribution students Scheme in bhilwara
भीलवाड़ा।
नौवीं कक्षा की छात्राओं को नि:शुल्क साइकिलें वितरण करने में सरकार जिले की बेटियों के साथ भेदभाव कर रही है। जिले की साढ़े सात हजार बेटियों के लिए चार ब्लॉकों में साइकिलों के पाट्र्स पहुंचा दिए गए। यहां पर कंपनी के कर्मचारी साइकिल कसने का काम कर रहे हैं।
जबकि शेष आठ ब्लॉकों की साढ़े सात हजार बेटियों के साथ छलावा किया गया। उन्हें अभी तक साइकिलें नहीं मिली है। इन्हें दीपावली के आसपास साइकिलें मिलने की संभावना है। तब तक उन्हें मजबूरन पैदल ही स्कूल आना-जाना होगा।
जिले में बंटनी है 15 हजार साइकिलें
डीईओ माध्यमिक (प्रथम) के अंतर्गत आने वाले पांच ब्लॉकों की सरकारी स्कूलों में 9वीं कक्षा की बालिकाओं को करीब 7,900 नि:शुल्क साइकिलें वितरित की जानी है। इनमें से मांडल ब्लॉक के सरकारी स्कूलों की राउमावि मांडल स्कूल परिसर में 1480 साइकिलों के पाट्र्स उतारे गए। इनमें से 450 साइकिलें तैयार हो गई। इसी प्रकार आसींद में 1530 में से 100, रायपुर में 630 में से 100, सुवाणा में 1885 में से 20 साइकिलें कसकर तैयार हो चुकी है। सहाड़ा में 500 में से एक भी साइकिल नहीं पहुंची।
वहीं डीईओ माध्यमिक (द्वितीय) के अधीन आने वाले सात ब्लॉकों बिजौलियां, मांडलगढ़, हुरड़ा, कोटड़ी, जहाजपुर, बनेड़ा व शाहपुरा में एक भी साइकिल का पाट्र्स पहुंचना तो दूर की बात रही, अभी तक संबंधित टेंडर वाली कंपनी ने कार्यालय में साइकिल का सैंपल तक नहीं पंहुचाया है। जबकि बिजौलियां में 400, मांडलगढ़ में 974, हुरड़ा में 839, कोटड़ी में 1000, जहाजपुर में 1449, बनेड़ा में 885 तथा शाहपुरा ब्लॉक में 1480 बेटियों को सत्र 2018-19 में नि:शुल्क साईकिलें वितरण की जानी है।
स्कूल को बना दिया कारखाना
सुवाणा ब्लॉक में भीलवाड़ा शहर के लिए वितरण की जाने वाली 685 नि:शुल्क साइकिलों की एक खेप राउमावि राजेंद्र मार्ग (सिंधु नगर) के परिसर के साथ ही दो कमरों में उतार देने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। यहां सुबह से शाम तक साइकिलों को कसने के लिए कंपनी के कारीगरों द्वारा खटपट करने से स्टाफ व बच्चों का ध्यान पढ़ाई से हट जाता है। स्कूल प्रभारी कृष्णा कौशिक का कहना है कि स्कूल में पहली से 8 वीं तक के 85 बच्चों का नामांकन है। हम प्रवेश के लिए बच्चों व अभिभावकों से संपर्क कर 100 के करीब नामांकन बढ़ाना चाहते है, लेकिन स्कूल की खटपट देख अभिभावक अपना मन बदल देते है। उन्होंने कहा कि विभाग चाहे तो मर्ज होने के बाद खाली पड़ी स्कूलों में भी यह काम करवाया जा सकता था।
जिस कंपनी को टेंडर मिला है, उसने अभी तक साइकिल का सैंपल भी नहीं भेजा है। निदेशालय को आपूर्ति के लिए साइकिलों की डिमांड भी समय पर भेज दी गई। डीईओ माध्यमिक (द्वितीय) के 7 ब्लॉकों में भी साइकिलें समय पर आ जाती तो करीब 7,500 बेटियों को भी स्कूल आने-जाने में आसानी रहती।
अरूणकुमार दशोरा, डीईओ माध्यमिक (द्वितीय), भीलवाड़ा
Published on:
07 Jul 2018 01:26 pm
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