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पटाखों से सहमे पावणे, कोठारी बांध के पेटे में नहीं गूंजी कलरव

कोठारी बांध के पेटे में इन दिनों हर साल प्रवासी पक्षियों से आबाद रहता था। लेकिन इस बार सुुुुनसान है

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कोठारी बांध के पेटे में इन दिनों हर साल प्रवासी पक्षियों से आबाद रहता था। लेकिन इस बार सुुुुनसान है

आकोला।

बोरखेडा गांव के निकट कोठारी बांध के पेटे में इन दिनों हर साल प्रवासी पक्षियों से आबाद रहता था। लेकिन इस बार मछली के ठेकेदार द्वारा पक्षियों को डराने के लिए पटाखे छोड़ने के कारण प्रवासी पक्षी आना बंद हो गए। जिससे कोठारी बांध का पेटा पावणों की चहचाहट से महरूम हो गया है।

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स्थानीय निवासी विक्रम सिंह राणावत ने बताया कि क्षेत्र के प्रमुख कोठारी बांध के पेटे में हर वर्ष हजारों की संख्या में विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते थे। यहां पर प्रवास करने के बाद गर्मी के दिनों में लौट जाते थे। लेकिन इस वर्ष मछली के ठेकेदार द्वारा पक्षियों को डराने के लिए कहीं अपनी मछलियों का नुकसान ना हो जाए उसके लिए पटाखे का प्रयोग करते हैं। जिसके कारण प्रवासी पक्षी इस बांध में आना बंद हो गए हैं।

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राणावत ने बताया कि इसके कारण क्षेत्र के ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। ग्रामीणों ने प्रशासन से ठेकेदार द्वारा पटाखे छोड़ने पर पाबंदी लगाई जाने की मांग की है। जिससे फिर से कोठारी बांध का पेटा प्रवासी पक्षियों की चहचाहट से आबाद हो सके।

पक्षी प्रेमियों में निराशा
कोठारी बांध के पेटे में इस बार प्रवासी पक्षियों के नहीं आने से जिले के पक्षीप्रेमियों में निराशा है। इस तरह निरीह प्राणियों को पटाखे छोड़कर डराना अपराध की श्रेणी में आता है। प्रशासन को इस तरह के कृत्य पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। मछली ठेेकेदार को इसके ल‍िए पाबंद किया जाना चाहिए।

पक्षियों के डराने के लिए करते हैं धमाका
पक्षिपक्षियों को डराने के लिए मछली पालक धमाका करते हैं। जिससे पक्षी वहां खतरा महसूस कर नहीं आते। धीरे—धीरे वे इस क्षेत्र से कट जाते हैं और लौटकर नहीं आते।