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खुश खबर: भीलवाड़ा टेक्सटाइल निर्यात में उछाल

- एक साल में 20.10 प्रतिशत बढ़ा यार्न का विदेशी व्यापार - 60 से अधिक देशों में भीलवाड़ा धागे की सबसे ज्यादा मांग - ट्रंप के टैरिफ से भीलवाड़ा को होगा ओर फायदा

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Good news: Bhilwara textile exports boom

Good news: Bhilwara textile exports boom

देशभर में जहां मंदी का असर देखने को मिल रहा, वहीं भीलवाड़ा की टेक्सटाइल इंडस्ट्री लगातार चमक बिखेर रही है। विश्वस्तरीय यार्न (धागा) उत्पादन के चलते यहां का निर्यात हर साल नई ऊंचाई छू रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में 2024-25 में यार्न निर्यात में 20.10 प्रतिशत का उछाल दर्ज हुआ है। पिछले साल जहां 4,762.82 करोड़ रुपए का यार्न विदेश गया था, वहीं इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 5,815.56 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

विश्वस्तरीय यार्न की बढ़ी मांग

भीलवाड़ा की मिलों में तैयार कॉटन और पीवी यार्न की सबसे अधिक मांग बांग्लादेश के अलावा चीन, जर्मनी, मेक्सिको, तुर्की, कोलंबिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, मोरक्को और मेडागास्कर जैसे देशों में है। यही वजह है कि रोजाना 20 से 25 कंटेनर धागा विदेश भेजा जा रहा है। भीलवाड़ा में फिलहाल 19 स्पिनिंग इकाइयां सक्रिय हैं। इनमें 16 लाख 30 हजार से अधिक स्पिंडल लगे है। इन 19 इकाइयों में से 8 इकाइयां ऐसी हैं जो अपने उत्पादन का 40 से 60 प्रतिशत से अधिक यार्न निर्यात कर रही हैं। इन इकाइयों ने संयुक्त रूप से 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक मूल्य का यार्न घरेलू एवं विदेशी बाजार में बेचा है।

वैश्विक बाजार में भीलवाड़ा की पहचान

भीलवाड़ा के यार्न की क्वालिटी और मजबूती ही है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में अलग पहचान दिला रही। ट्रंप सरकार के टैरिफ के बाद से भी भारतीय धागे की मांग और बढ़ी है। इससे भीलवाड़ा की स्पिनिंग मिलों को फायदा हुआ है। आने वाले समय में बांग्लादेश से यार्न की मांग ओर तेजी के साथ बढ़ेगी। टेक्सटाइल उद्योग न केवल विदेशी मुद्रा अर्जन में योगदान दे रहा बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रफ्तार बनी रही तो आने वाले वर्षों में भीलवाड़ा देश के टेक्सटाइल निर्यात का सबसे बड़ा हब बनकर उभरेगा।

भीलवाड़ा धागे की खासियत

  • कॉटन और पीवी यार्न दोनों की उच्च क्वालिटी उत्पादन
  • मजबूत व टिकाऊ धागा, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप
  • यूरोप और एशियाई देशों में सबसे ज्यादा मांग
  • रोजाना 20-25 कंटेनर धागा विदेश रवाना

अगले पांच साल का अनुमान

विशेषज्ञों के अनुसार हर साल औसतन 10 से 12 प्रतिशत की निर्यात वृद्धि संभव है। वर्ष 2030 तक निर्यात का आंकड़ा 10 हजार करोड़ से अधिक पहुंच सकता है। भीलवाड़ा भारत का नंबर एक यार्न निर्यात केंद्र बनने की पूरी संभावना है। 5 वर्षों में रोजगार के अवसरों में 30-35 प्रतिशत की बढ़ोतरी संभावित है।