25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अवैध खेती के लिए मेजा बांध में काटे खेत, उगा दी सब्जियां

शहर की लाइफ लाइन रहे मेजा बांध में पेटा काश्त के नाम पर लोगों ने अब बांध की ही बंदरबांट कर ली है

2 min read
Google source verification
Illegal cultivation Meja Dam in bhilwara

Illegal cultivation Meja Dam in bhilwara

भीलवाड़ा।

शहर की लाइफ लाइन रहे मेजा बांध में पेटा काश्त के नाम पर लोगों ने अब बांध की ही बंदरबांट कर ली है। बांध में इस बार पर्याप्त मात्रा में पानी था, लेकिन खेतों में अवैध रूप से पानी लेने के कारण अब मात्र साढ़े छह फीट पानी रह गया है। किसानों ने बांध के 70 फीसदी हिस्से में सब्जियां, तरबूज-खरबूज की बुवाई कर दी है।

READ: लाशों के ढेर के बीच खरबूजे लूटते लोग


आश्चर्य की बात है कि अब तक किसान पेटा की जमीन में ही फसलों की बुवाई करते थे, लेकिन अब तो सात गांवों के एक हजार काश्तकारों ने पूरे बांध की बिलानाम भूमि पर कब्जा कर लिया है। ऐसे हालात होने के बावजूद जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग व जलदाय विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। पत्रिका टीम ने मेजा बांध जाकर हालात जायजा लिया तो पता चला कि जो पानी बचा है, उसके पास भी धोरे बनाए जा रहे थे। इन्हें कोई भी रोकने-टोकने वाला नहीं है। पूरे बांध में फसल लहलहा रही है।

READ: ट्रक और पिकअप की भिड़ंत में चार जनों की मौत


रात में चलाते हैं इंजन
ये काश्तकार अपनी फसल की पिलाई के लिए रात को इंजन या अन्य स्रोत के माध्यम से पानी का अवैध रूप से दोहन करते हैं। यहां जलदाय विभाग के कर्मचारी लगे हुए हैं, लेकिन पानी की चोरी रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं करता। कारण है कि सबको लगता है कि ऐसा हर साल होता है लेकिन इस बार तो हद ही हो गई कि मुख्य जलभराव क्षेत्र को भी खेतों का रूप दे दिया।


सबको पता है फिर भी करते हैं अनदेखी
1. पानी खत्म होते ही किसान बांध की बंदरबांट कर लेते हैं। इसमें जिसको जहां जगह मिलती है वहां फसल की बुवाई कर देते हैं। चोरी-छिपे पानी का अवैध रूप से दोहन होता है।
2. पटवारी व गिरदावर निरीक्षण के नाम पर बांध में जाते हैं। इसमें लगभग एक हजार से ज्यादा काश्तकार हैं, लेकिन कुछ लोगों के नाम सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का नोटिस जारी होता है। किसानों की पेशी होती है इसमें फसल बोने पर पैनल्टी वसूल कर ली जाती है।
3. किसानों को भी पता है कि खेती अवैध रूप से हो रही है, लेकिन किसी को डर नहीं है। क्योंकि वे जानते हैं कि पटवारी नोटिस थमाएंगे। पेनल्टी भर देने के बाद अवैध काम वैध हो जाएगा। किसानों ने बातचीत में भी यही कहा, इस फसल में पानी की जरूरत नहीं होती। यदि अवैध है तो पटवारी को पैनल्टी जमा करा देते हैंं।


भराव क्षेत्र में ही काट दिए खेत
मेजा बांध में जहां मुख्य भराव क्षेत्र है वहां काश्तकारों ने अपने हिसाब से बांध के दो से तीन बीघा के टुकड़े कर दिए। इसमें निशान बना दिए कि किस हिस्से में किस काश्तकार की फसल होगी।

वहां मिले एक किसान ने बताया कि मेजा, किरतपुरा, पीथास, समेलिया आदि गांवों के करीब एक हजार काश्तकारों ने अपनी फसल उगाई है।पेटा काश्त के लिए सिंचाई विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। यदि किसी ने बिना अनुमति इंजन लगा दिए है तो गलत है। इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
सीएल शर्मा, उपखंड अधिकारी, मांडल