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सेवा के जज्बे ने दी नई पहचान, 97 प्रतिशत पहुंचा रक्तदान का स्तर

जिला अस्पताल में अब मरीजों के परिजनों को रक्त के बदले तत्काल रक्तदान नहीं करना होगा

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Increased awareness of blood donation in bhilwara

Increased awareness of blood donation in bhilwara

भीलवाड़ा।

जिला अस्पताल में अब मरीजों के परिजनों को रक्त के बदले तत्काल रक्तदान नहीं करना होगा। शहरवासियों में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। यही कारण है कि वर्ष 2009 में जहां मरीजों को दिए जाने वाले रक्त में रक्तदाताओं का हिस्सा केवल 33 प्रतिशत होता था, वह अब बढ़कर 97 प्रतिशत हो गया है।

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पिछले साढ़े तीन साल में ही 24 हजार 728 यूनिट रक्त मिला। उसके मुकाबले 22 हजार 618 यूनिट रक्त सप्लाई किया गया। कुछ सालों पहले तो स्थिति यह थी कि रक्तदान का नाम लेते ही लोग डर जाते थे। कुछ शारीरिक कमजोरी का बहाना बनाकर रक्तदान करने से मना कर देते थे, लेकिन अब सब भ्रांतियां टूट रही है।

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अब पुरुष ही नहीं महिलाएं भी रक्तदान में आगे आ रही है। जिले में विभिन्न सामाजिक संगठनों और समाजों में रक्तदान के प्रति पिछले कुछ सालों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला है। शिविर लगाकर रक्तदान किया जा जाता है। एमजीएच व रामस्नेही चिकित्सालय में सबसे बड़े ब्लड बैंक है। करीब ८५ संगठन हैं जो लगातार एमजीएच ब्लड बैंक के माध्यम से शिविर लगवाते हैं।


इस वर्ष इन संस्थानों ने करवाया इतने यूनिट रक्तदान
श्री सांवरिया चेरिटेबल ट्रस्ट - 210
मजदूर महांसघ, भीलवाड़ा - 202
सहयोग सेवार्थ संस्थान - 193
युवा ब्रह्मा शक्ति मेवाड़ संस्थान, भीलवाड़ा - 179
विजन इण्डिया वेलफेयर सोसायटी, भीलवाड़ा - 190
युवा बिग्रेड, बिजौलियां - 184
जीवन ज्योति रक्तदाता समूह, भीलवाड़ा - 161
प्रशासन एवं जनसेवा संस्थान, गुलाबपुरा - 151
प्रताप युवा शक्ति, भीलवाड़ा - 136
संत निरंकारी मण्डल, भीलवाड़ा - 131

एमजीएच में तीन साल में रक्त की स्थिति
वर्ष कुल कैम्प कैम्प से प्राप्त स्वैच्छिक कुल रक्त प्रतिशत
2015 68 3694 1461 6248 82
2016 71 5460 1153 7063 93
2017 85 6905 628 7726 97
2018 मई तक 40 3213 104 3691 90

फैक्ट फाइल - यूं चढ़ा रक्तदाता का ग्राफ
2009 33 प्रतिशत
2015 82 प्रतिशत
2016 93 प्रतिशत
2017 97 प्रतिशत


ब्लड डोनेशन वाहन की जरूरत
महात्मा गांधी अस्पताल मेडिकल कॉलेज का अंग बन गया लेकिन अब तक इसे ब्लड डोनेशन वेन उपलब्ध नही हुई। वर्तमान में उदयपुर, जयपुर व कोटा में यह वेन है।

पिछले 9 साल में रक्तदाताओं का रुझान बढ़ा है। यही वजह है कि इस समय जितना रक्त मिल रहा है, उसका 97 प्रतिशत रक्तदाताओं से आ रहा। रक्त देकर किसी की जिंदगी बचाना पुण्य का काम है। इसमें सभी को भागीदार बनना चाहिए। जल्द ही ऐसी स्थिति आने वाली है कि सभी मरीजों को आवश्यकता होने पर बिना रक्त लिए रक्त उपलब्ध करा दिया जाएगा। अभी 100 में से 3 से रक्त लेना पड़ता है।
अनिल लढा, पैथोलोजिस्ट, एमजीएच