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यहां सब ठसाठस, जनाब- यह बस नहीं, जेल है

It's stuffy in here, man - this ain't a bus, it's a prison राजस्थान में बढ़ते अपराध और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बढ़ते ग्राफ से अधिकांश जिलों की जेल की बैरकों में क्षमता से दुगने बंदी है। इनमें विचाराधीन बंदियों की संख्या कही अधिक है। ठसाठस होती जेलों में भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ जिलों की जेल भी शुमार है।

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यहां सब ठसाठस, जनाब- यह बस नहीं, जेल है

यहां सब ठसाठस, जनाब- यह बस नहीं, जेल है

प्रदेश में बढ़ते अपराध और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बढ़ते ग्राफ से अधिकांश जिलों की जेल की बैरकों में क्षमता से दुगने बंदी है। इनमें विचाराधीन बंदियों की संख्या कही अधिक है। ठसाठस होती जेलों में भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ जिलों की जेल भी शुमार है। चित्तौड़गढ़ जिला कारागृह के औचक निरीक्षण के दौरान बुधवार को क्षमता के मुकाबले 240 बंदी अधिक मिले। It's stuffy in here, man - this ain't a bus, it's a prison


चित्तौड़गढ़ में विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव भानू कुमार बुधवार को अचानक जिला कारागृह पहुंचे और निरीक्षण शुरू किया। निरीक्षण में पाया कि जिला जेल में 338 बंदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन जेल में निरीक्षण के दौरान 578 बंदी पाए गए, जो क्षमता के मुकाबले 240 बंदी ज्यादा थे।

प्राधिकरण सचिव ने इसे गंभीर मानते हुए अधिशेष बंदियों को अन्य जेलों में भिजवाने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला कारागृह में निर्मित बैरकों रसोई घर, स्नान घर और शौचालय का भी निरीक्षण किया। बैरकों में लाइट एवं पंखों की व्यवस्था के साथ ही बंदियों को दिए जाने वाले पेयजल एवं खाने पीने की वस्तुओं को जांचा परखा गया।

कारागृह के रसोई घर में साफ-सफाई व्यवस्था सही नहीं थी। इस संबंध में जेल के उप अधीक्षक योगेश कुमार तेजी को निर्देश दिए गए। गौरतलब है कि सोमवार रात जेल प्रबंधन के बैरकों की तलाशी के दौरान दो बंदियों से तीन मोबाइल बरामद हुए थे।