आयोजक आशीष बिड़ला ने बताया कि इसके अलावा मड़, काली तथा मुल्तानी मिट्टी का भी अलग से कुण्ड बनाया गया था। इसमें युवक व युवतियां एक दूसरे को नीचे गिराकर उस पर मिट्टी डालकर होली का लुफ्त उठाया। कुण्ड में मुल्तानी मिट्टी (हर्बल मिट्टी) होने से नीचे गीरने तथा घसीटने से किसी तरह से चोट का खतरा नहीं था। करीब दो ट्रेक्टर मिट्टी डाली गई थी। इसके चलते सभी इस मिट्टी का आनन्द ले रहे थे। इसके अलावा रैन डांस का भी आयोजन किया गया। इसके लिए पानी का टैंकर लगाया गया था। मेवाड़ में होली का कार्यक्रम दिनो तक चलता है। होली दहन के साथ रंग तेरस तक लोग होली खेलते है।