
भीलवाड़ा. Rajasthan Election : मतदान दिवस लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व होता है। लोगों को मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए, लेकिन जब अपनी मांगों की बात आती है तो जनता नेताओं को आंख दिखाने को मजबूर होती है। जनता के पास वोट का अधिकार ही सबसे बड़ी ताकत है। अब विधानसभा चुनाव हैं तो गांव-शहर के लोग जिनके काम नहीं हुए वे नेताओं को आंख दिखा रहे। गांव व शहरों के प्रवेश द्वार पर चेतावनी के बोर्ड लगाए जा रहे हैं कि पहले उनके काम कराएं, उसके बाद वोट की बात होगी। राज्य के तमाम जिलों के गांव व शहर की कॉलोनियों में लगे बोर्ड अब टिकिटार्थियों की नींद उड़ा रहे हैं।
भीलवाड़ा: सड़क का दर्द
- मांडलगढ़ विधानसभा के काछोला क्षेत्र की 8 पंचायतों के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार की चेतावनी के साथ धरना तक दिया। लोगों की मांग है कि उन्हें शाहपुरा जिले की बजाय भीलवाड़ा जिले में ही रखा जाएं। -भीलवाड़ा शहर में दो कॉलोनियां रिद्धि-सिद्धि इन्कलेव और कृष्ण कुंज में मुलभूत समस्याओं को लेकर लोगों ने वोट नहीं देने का ऐलान किया है।
- आसींद विधानसभा क्षेत्र में खस्ताहाल सड़क से परेशान दौलतगढ़ ग्रामीणों ने अगस्त माह में रोड नहीं तो वोट नहीं, प्रत्याशियों का गांव में प्रवेश वर्जित की सूचना बोर्ड लगा दिया। ग्रामीणों की चेतावनी का असर यह रहा कि सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।
सीकर : चार साल से चुनाव का बहिष्कार
नीम का थाना जिले के गांव लादी का बास को पाटन पंचायत समिति में जोडऩे की मांग को लेकर ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में वोट नहीं करने का ऐलान किया। ग्रामीण पूर्व में पंचायत चुनावों का भी बहिष्कार कर चुके हैं। उनका आरोप है कि चार साल में कोई जनप्रतिनिधि उनकी समस्या सुनने नहीं आया।
कोटा : चम्बल का पानी व सड़क चाहिए
- जिले के दीपपुरा, अरलिया, चारनहेडी, पीपलहेडी गांव के किसानों ने आलनिया बांध में चम्बल का पानी दिए जाने की मांग को लेकर चुनाव के बहिष्कार चेतावनी दी थी। मध्यम सिंचाई परियोजना में 42 गांवों के किसान जुड़े हैं।
- पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र के इटावा से नोनेरा के बीच सड़क की जर्जर हालत को लेकर नोनेरा ग्रामीणों ने अगस्त माह से गांव के बाहर सड़क नहीं तो वोट नहीं संदेश लिखा बैनर टांग रखा है।
श्री गंगानगर : बिजली-पानी की समस्या
सूरतगढ विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत ठुकराना के गांव फरीदसर के ग्रामीणों ने बिजली और पानी की समस्या को लेकर चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर रखी है। ग्रामीण प्रशासन को ज्ञापन भी दे चुके हैं।
पिछले चुनावों में भी हुए ऐलान
पिछले कुछ चुनावों में राजस्थान के कई जिलों में ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं, जहां लोगों ने अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए चुनाव व वोट देने के बहिष्कार का ऐलान किया था। हालांकि कई जगहों पर तब प्रशासन व नेताओं को झुकना पड़ा और लोगों को राहत दी गई।
पत्रिका व्यू : बहिष्कार की बजाय दिखाएं वोट की ताकत
अपने हक व मांग की पूर्ति के लिए जनता को लड़ना चाहिए। वोट आने तक दबाव बनाया जा सकता है, लेकिन वोट का बहिष्कार करना कतई ठीक नहीं। वोट ही ऐसी ताकत है, जिसका इस्तेमाल हम पांच साल में एक बार ही कर पाते हैं। वोट के जरिए ही हम स्वच्छ छवि के व्यक्ति का चुनाव कर सकते हैं और खराब को सत्ता में जाने से रोक सकते हैं। जिन नेताओं ने पांच साल तक जनता के काम नहीं किए या सुनवाई नहीं की, उन्हें बाहर का रास्ता भी वोट से ही दिखाना चाहिए।
Published on:
19 Oct 2023 07:40 am
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