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वस्त्रनगरी की जलपरी प्रदेश में बढ़ाएगी मत्स्य संपदा, मछली के एक हजार लाख बीज तैयार

मत्स्य बीज उत्पादन केन्द्र ने इस बार रिकार्ड एक हजार लाख मत्स्य बीज तैयार किए है

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Prepare a thousand million seeds of fish in bhilwara

Prepare a thousand million seeds of fish in bhilwara

भीलवाड़ा।

प्रदेश के प्रमुख मत्स्य बीज प्रजनन केन्द्र में शुमार गुवारड़ी मत्स्य बीज उत्पादन केन्द्र ने इस बार रिकार्ड एक हजार लाख मत्स्य बीज तैयार किए है। ये बीज भीलवाड़ा के मत्स्य बाजार समेत उदयपुर, पाली, सिरोही, माउंट आबू, राजसमंद, चित्तौडग़ढ़ जिले की मांग पूरी करेंगे।

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केन्द्र अभी तक तीस लाख मत्स्य बीज की सप्लाई भी जिलों को कर चुका है। इनमें मुख्यत: कतला, राहू, मिरगल, ग्रासकार्प प्रजाति की सम्पदा है। ये पहला मौका है जब भीलवाड़ा के मत्स्य की डिमांड प्रदेश में उठी है।मानसून की दस्तक के साथ ही जिले में बारिश का दौर शुरू हो चुका है।

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गत तीन दिन के दौरान हुई हलकी बारिश से कोटड़ी, बागौर, रायपुर, करेड़ा, बनेड़ा, बिजौलियां व मांडलगढ़ क्षेत्र में तालाबों व बांधों में पानी की आवक शुरू हो गई है, हालांकि जलस्तर कम है। लेकिन ये बारिश अभी यहां रिचार्ज का काम कर रही है। इससे यहां मत्स्य पालन की राह खुल गई है। जिले में इस वर्ष 300 बांध व तालाबों में मत्स्य पालन होने की संभावना है।

गत वर्ष था कमजोर मानसून
जिले में गत वर्ष मानसून कमजोर रहने से वर्ष 2016 में हुई बारिश के सहारे ही मत्स्य पालन हुआ था। पानी कम होने और समय पूर्व अधिकांश बांध व तालाबों के रीतने से मत्स्य व्यवसाइयों व पालकों की उम्मीद पर पानी फिर गया था। व्यवसायी राजेन्द्र सिंह शेखावत बताते हैं कि मानसून से इस बार काफी उम्मीद है। इस बार जो शुरूआत हुई है, उससे गत दो वर्ष से बनी संकट की स्थिति से उभरने की संभावना है।

जीरो पर है जोर
प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े मत्स्य प्रजनन केन्द्र के रूप में गुवारड़ी मत्स्य बीज उत्पादन केन्द्र की पहचान है। हमीरगढ़ के निकट स्थित केन्द्र पर कतला, राहू, मिरगल, ग्रासकार्प प्रजाति के एक हजार लाख बीज तैयार किए गए है। ये जीरो साइज आकार के है। मत्स्य विकास अधिकारी डॉ.अनिल जोशी बताते हैं कि जिले में तीन लाख हजार मत्स्य बीज की जरूरत रहती है। यहां केन्द्र पर अभी जीरो साइज के एक लाख हजार बीज तैयार है और प्रजनन कार्य जारी है। जीरो साइज के बीज ग्रोथ देने वाले होते है। यहां केन्द्र पर ये बीज उपलब्ध होने से लोगों को प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इससे समय व राशि की बचत होगी और अच्छी ग्रोथ भी मिलेगी। इस बार पांच अन्य जिलों से भी मत्स्य बीज की मांग आई है।


रोजाना 25 लाख बीज
जिले के कई मत्स्य पालक अभी कोलकोता, बरेली, कानपुर,गोरखपुर के साथ ही प्रदेश में हनुमानगढ़ व कासीमपुरा केन्द्र से मत्स्य बीज की खरीद कर रहे है। मत्स्य विभाग अभी 16 रुपए में एक लाख बीज दे रहा है, जबकि बाजार में ये दर दस रुपए प्रति लाख तक है। गुवारड़ी केन्द्र पर अभी 25 लाख बीज रोजाना तैयार हो रहे है। एक थैली मे ऑक्सीजन से 25 हजार बीज की पैकिंग की जा रही है।