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नरेन्द्र वर्मा
भीलवाड़ा। प्रदेश के 28 हजार से अधिक होमगार्ड जवान अपना वजूद तलाश रहे हैं। अधिकांश होमगार्ड को साल के 365 में से 200 दिन के रोजगार की गारंटी नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं, पुलिस के समान वेतन व भत्ते नहीं मिलने और स्थायीकरण नहीं होने की पीड़ा भी भोग रहे हैं।
नई भर्ती दो साल से अटकी होने से जिलों में गृह रक्षा प्रशिक्षण केंद्र गिनती की नफरी के बूते आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को पुलिस के साथ मिलकर संभालने की कोशिश कर रहा है। तमाम विकट हालात के बावजूद राज्य सरकार होमगार्ड जवानों की पीड़ा से अनजान है।
प्रदेश में शांति एवं कानून व्यवस्था के लिहाजे से गृह रक्षा दल की जिम्मेदारी बढ़ गई है। इसके बावजूद दल के जवानों का वजूद पुलिस के समक्ष नहीं है। होमगार्ड को मैस व डीए भत्ता नहीं मिलता साथ ही कल्याण कोष का लाभ नहीं के बराबर है। पेंशन की सुविधा नहीं है। यात्रा भत्ता पांच साल से नहीं मिल रहा है। वर्दी भी दो वर्ष में एक बार मिलती है। पीएसआइ और इएसआइ व पीएफ की सुविधा नहीं है।
होमगार्ड जवान बताते हैं कि जिले के प्रत्येक सरकारी विभाग एवं सभी पुलिस थानों में होमगार्ड जवानों की तैनाती होनी चाहिए। नियमित रोजगार की गारंटी पर ही नियुक्ति दी जाने चाहिए। नव गठित जिलों में गृह रक्षा प्रशिक्षण केंद्र खोले जाए। महिलाओं की नफरी जिलों में बढ़ाई जाए। जिलों में गृह रक्षा दल का स्वयं का भवन होना चाहिए। दो साल से नई भर्ती भी नहीं हो सकी है। होमगार्ड जवानों के मानदेय और भत्तों में भी वृद्धि नहीं हुई है।
राजस्थान में होमगार्ड की स्वीकृत नफरी 30,714 के मुकाबले अभी 28,050 है। इनमें महिला होमगार्ड की नफरी महज 2075 है। बार्डर होमगार्ड जवान 2664 है। राज्य सरकार को चाहिए कि होमगार्ड को राजकीय पुलिस सेवा के समान दर्जा दें। नए जिलों में जल्द गृह रक्षा दल कार्यालय सृजित करें।
होमगार्ड की नई भर्ती दो साल से अटकी है। वेतनमान, भत्ते भी अन्य राज्यों के समान देय हो। पीएफ और चिकित्सा सुविधा भी सरकार देंवे। होमगार्ड को पूरे साल रोजगार की भी सरकार गारंटी दें।
-झलकनसिंह राठौड़, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान होमगार्ड कर्मचारी संगठन जयपुर
Updated on:
04 Feb 2025 07:35 am
Published on:
04 Feb 2025 07:26 am
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