जाट इससे पूर्व भी गहलोत के पूर्ववर्ती मंत्री मण्डल में वन, पर्यावरण व खनिज राज्य मंत्री रह चुके है। हालांकि जाट को यह पद बाद में तत्कालीन भीलवाड़ा डेयरी चेयरमैन रतन लाल चौधरी की धर्म पत्नी पारस देवी की 27 सितम्बर 2011 को संदिग्ध हालत में हुई मृत्यु और बिना पोस्टमार्टम कराए शव को ले जाने के मामले में नाम उछलने पर छोडऩा पड़ा था। इधर, जाट के मंत्री बनाए जाने के बाद जिले में खुशी का माहौल है, उनके समर्थकों ने मांडल विधानसभा क्षेत्र के साथ ही समूचे जिले में आतिशबाजी की और मिठाई बांट कर लोगों का मुंठ मीठा कराया।
कांस्टेबल से मंत्री पद का सफर जाट राजनीति में आने से पहले राजस्थान पुलिस सेवा में कांस्टेबल रहे चुके है। जाट अभी तक पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके है। वह चार बार विजयी हुए है, जबकि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में वह आसीन्द सीट से हार गए थे। जाट अभी राजस्थान कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष भी है। हाल ही पंचायत राज उपचुनाव में वह जोधपुर संभाग के प्रभारी थे और गहलोत सरकार पर आए संकट के समय उनके साथ खड़े थे। जाट विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के करीबी माने जाते है, लेकिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामपाल शर्मा के उनका कई मौके पर मनमुटाव भी सामने आया है।
जिले को मिलता रहा प्रतिनिधित्व प्रदेश में पूर्ववती भाजपा सरकार के दौरान भीलवाड़ा जिले का प्रतिनिधित्व मंत्री मण्डल में नहीं रहा, लेकिन इस अवधि में शाहपुरा विधायक एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश मेघवाल विधानसभा अध्यक्ष रहे। इससे पूर्व की सरकारों में भी जिले को कई मौकों पर प्रतिनिधित्व रहा है। भीलवाड़ा के ही मांडलगढ़ विधानसभा से विधायक रहे शिवचरण माथुर दो बार मुख्यमंत्री बने। असम के राज्यपाल पद पर रहते समय उनका असामयिक निधन हो गया था।