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स्टील प्लांट से सेल और आरआइएनएल ने हाथ खींचे, जिंदल को भी जमीन नहीं मिली

- 11 हजार करोड़ रुपए का निवेश अटका- भाजपा शासन में हुई थी कवायद- भीलवाड़ा के स्टील नगरी बनने की आस अधूरी

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SAIL and RINL pull hands from steel plant, Jindal does not even get land in bhilwara

SAIL and RINL pull hands from steel plant, Jindal does not even get land in bhilwara

सुरेश जैन
भीलवाड़ा।
खनिज से भरपूर भीलवाड़ा के वस्त्रनगरी बनने के बाद स्टील नगरी बनने का ख्वाब पूरा नहीं हो पाया। पिछले भाजपा शासन में यहां तीन स्टील प्लांट शुरू होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन यहां प्लांट लगाने के लिए जमीन लेने की कवायद के बाद केन्द्र सरकार के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (सेल) व राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआइएनएल) ने अपने हाथ वापिस खींच लिए, जबकि जिंदल सॉ लिमिटेड ने पांच साल पहले प्लांट के लिए करीब दो हजार करोड़ का एमओयू राज्य सरकार से कर लिया, लेकिन अब तक प्लांट के लिए उसे करीब ८० बीघा जमीन आवंटित नहीं हो सकी है। नगर विकास न्यास इसके लिए धूलखेड़ा और पुर में एनवायरमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट [इआए] से सर्वे करवा रहा है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद न्यास आगे की कार्रवाई करेगा। सेल और आरआइएनएल ने लोह अयस्क खनन के लिए सरकार से जारी मंशा पत्र वापिस लौटा दिया। यदि ये तीनों प्लांट शुरू हो जाते तो वस्त्र नगरी में करीब ११ हजार करोड़ रुपए का निवेश हो चुका होता और सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता।
अक्टूबर २०१५ में हुआ था
एमओयू रिसर्जेन्ट राजस्थान के तहत तत्कालीन भाजपा सरकार ने अक्टूबर २०१५ में सेल के साथ ६ हजार ५०० करोड़, आरआइएनएल के साथ ढाई हजार करोड़ तथा जिन्दल ने ढाई हजार करोड़ रुपए के स्टील प्लांट लगाने के लिए एमओयू किया था। इसके तहत सेल व आरआईएनएल को अयस्क खनन के लिए लीज पर जमीन तथा जिन्दल को स्टील प्लांट लगाने के लिए औद्योगिक जमीन का आवंटन करना था।
आरआइएनएल को बनेड़ा में मिली थी जमीन
आरआईएनएल ने बनेड़ा तहसील क्षेत्र के बरण, सुल्तानगढ़, बनेड़ा, नानोदिया, लापिया, किशनपुरा में 945.8575 हेक्टेयर में खनन पट्टा जारी करने के लिए जनवरी 2010 को खनिज विभाग में आवेदन पेश किया था। राज्य सरकार की ओर से इसका मंशा पत्र मई 2013 को जारी किया गया। इसके तहत कम्पनी को सम्बंधित क्षेत्र से दो मिलियन टन प्रतिवर्ष का लौह अयस्क का खनन करना था। इसका रिसर्जेंट राजस्थान में एमओयू भी हुआ। जानकारों के अनुसार इस क्षेत्र की मिट्टी में लोहे की मात्रा बहुत कम होने से कम्पनी ने प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए और सरकार को मंशा पत्र लौटा दिया। इसी प्रकार सेल ने 2009 को लीज के लिए आवेदन किया। इसमें 871 हैक्टेयर क्षेत्र खनन के लिए मांगा था। सरकार ने मंशा पत्र भी जारी कर दिया था, लेकिन सेल ने भी अपने हाथ खिंच लिए थे।
दो साल से चल रहा सर्वे
जिन्दल सॉ लिमिटेड को वर्ष २०१६ में स्टील प्लांट लगाना था। इसके लिए सरकार से एमओयू भी हो गया, लेकिन अब तक जमीन आवंटित नहीं होने से अब तक प्लांट का कार्य शुरू नहीं हो पाया। कम्पनी ने ३४ व ४५ बीघा जमीन प्लांट लगाने के लिए नगर विकास न्यास में आवेदन किया था। जमीन के लिए धूलखेड़ा और पुर में एनवायरमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट [इआए] से सर्वे करवाया जा रहा है, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं मिली।
ढाई हजार करोड़ का प्लांट है
पुर में स्टील प्लांट की स्वीकृति मिलती है तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब दो हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। स्टील के साथ सिंटर प्लांट, ब्लास्ट फर्नेस, डीआरआई प्लांट, रोलिंग मिल, केप्टिव पावर प्लांट लगाए जाएंगे। इनके जरिए कच्चे माल से लेकर अंतिम उत्पादन तक की प्रक्रिया भीलवाड़ा में ही पूरी होगी। इस तरह का यह प्रदेश का पहला प्लांट होगा। लेकिन इआइए का सर्वे पूरा होने तथा उसकी रिपोर्ट नगर विकास न्यास को मिलने के बाद ही सरकार जमीन आवंटन का निर्णय करेगी।
- राजेन्द्र गौड, लायजन हेड जिन्दल सॉ लिमिटेड
नियमानुसार होगी कार्रवाई
जिन्दल सॉ की ओर से स्टील प्लांट लगाने के लिए मांगी गई जमीन की फाइल की वर्तमान में क्या स्थिति है। इस बारे में फाइल मंगवाकर दिखवाता हूं। इसमें नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
शिवप्रसाद एम नकाते, नगर विकास न्यास अध्यक्ष एवं जिला कलक्टर