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भीलवाड़ा

राज्य सरकार ने नहीं भेजा भीलवाड़ा में टेक्सटाइल पार्क का प्रस्ताव

केन्द्रीय मंत्री गोयल बोले-दोबारा प्रस्ताव मांगने का प्रावधान नहींराज्य सरकार ने नहीं दिया उद्योगों पर ध्यानकेंद्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल

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भीलवाड़ा. केंद्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि भीलवाड़ा में टेक्सटाइल पार्क के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव ही नहीं भेजा। टेक्सटाइल पार्क योजना में दोबारा प्रस्ताव मांगने का प्रावधान नहीं है। देश से मिले प्रस्ताव ग्रेडिंग के आधार पर चयनित होंगे। वे नगर परिषद सभागार में लद्यु उद्योग भारती के कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।

 

सवाल-राजस्थान सरकार ने भीलवाड़ा के उद्योग के लिए कितने प्रस्ताव भेजे?
गोयल-राजस्थान सरकार ने भीलवाड़ा उद्योग जगत के लिए किसी भी योजना में कोई प्रपोजल केंद्र को नहीं भेजा। राज्य सरकार को पता होगा कि भीलवाड़ा कितना ताकतवर है और अपने पांव पर खड़ा है। राज्य सरकार अपने उलझनों में इतनी फंसी रही कि उद्योगों पर उनका ध्यान ही नहीं है। निवेश लाने के लिए उत्साह नहीं है।

सवाल-भीलवाड़ा में कितनी संभावनाएं हैं?
गोयल-केंद्र सरकार ने टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने की कई योजनाएं चलाई है। टफ से भीलवाड़ा का काफी विस्तार हुआ। टफ योजना के कारण आज भारत अन्तरराष्ट्रीय पटल पर खड़ा है। टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात 3 लाख करोड़ का है, जो आने वाले समय में 8 से 8.50 लाख करोड़ रुपए पहुंच जाएगा। भीलवाड़ा के उद्यमियों को थोड़ा बाहर जाना चाहिए। भारत के बाजार में भीलवाड़ा की पहचान है। यहां से कपड़ा व धागा निर्यात हो रहा है। भीलवाड़ा का निर्यात आगामी 5 साल में दस गुना बढ़ सकता है। इतनी काबिलियत व क्षमता यहां के उद्योगों में है।

सवाल-रोजगार के नए अवसर कितने हैं?
गोयल- दुख की बात है कि समर्थ योजना में भीलवाड़ा से मात्र 3 हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। असल में यहां एक लाख लोग तैयार करने चाहिए थे। भीलवाड़ा में 400 से ज्यादा कपड़ा फैक्ट्रियां है। इससे नए लोगों को नौकरी मिलने में आसानी होती। यहां पूरी वेल्यू चेन तैयार करनी चाहिए। राज्य सरकार थोड़ी चुस्ती दिखाए तो भीलवाड़ा के उद्योगों का भला हो सकता है। एमएसएमई में भी कई योजना है।

सवाल-क्या पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा?
गोयल-केंद्र सरकार बिजली, मंडी टैक्स, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करना चाहती है, लेकिन राज्य सरकारें तैयार नहीं है। राहुल गांधी रोजाना जीएसटी के खिलाफ बयान दे रहे हैं जबकि जीएसटी से उद्योग जगत खुश है। यह बात और है कि राहुल इसे समझ नहीं पा रहे हैं।