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रोक लगते ही तिगुने हो गए बजरी के दाम

बजरी पर रोक के समाचार मिलते ही बाजार में बजरी के दाम सीधे तिगुने हो गए

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क्षेत्र की प्रमुख बनास नदी में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश बाद बजरी खनन नहीं हो रहा है। जिसके कारण नदी क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ था।

भीलवाड़ा ।
राजस्थान में बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के साथ ही भीलवाड़ा में बजरी के दाम 700 रुपए प्रति टन बढ़ गए हैं। बजरी पर रोक के समाचार मिलते ही बाजार में बजरी के दाम सीधे तिगुने हो गए। गुरुवार सुबह जहां एक टन के दाम 300 रुपए थे, वे शाम तक 1000 तक पहुंच गए। ऐसे में चार टन का एक टैक्‍टर बजरी अब चार हजार से कम में नहीं मिल रही है। बजरी के लीजधारक का कहना है कि भीलवाड़ा में बजरी एक हजार रुपए टन तक पहुंच गई है तो जयपुर में दो हजार रुपए लिए जाने लगे हैं।

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यह पड़ेगा असर
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बिना पर्यावरण स्वीकृति के बजरी की लीजों पर खनन तुरन्त रोक दिया। इसके साथ ही भीलवाड़ा जिले की पांच तहसीलों में छह हजार हेक्टेयर में बजरी दोहन का काम ठप हो जाएगा। हालांकि इस आदेश का तत्काल असर नहीं होगा, लेकिन रोक ज्यादा दिन रही है श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे। सरकारी व गैर सरकारी काम बाधित होंगे। अब एक ट्रैक्टर बजरी चार हजार से कम में नहीं मिलेगी।

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जिले में 5 जगह खनन
जिले में पांच क्षेत्रों में बजरी खनन होता है। इनमें दो को माइनिंग लीज है जबकि तीन अस्थाई कार्यानुमति के तहत बजरी निकाल रहे हैं। हालांकि इस सम्बन्ध में सरकार ने अभी कोई आदेश जारी नहीं किया है। खनिज विभाग का कहना है कि जिन क्षेत्रों को पर्यावरण स्वीकृति मिल गई तथा राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से कन्सेन्ट टू ऑपरेट की स्वीकृति जारी कर दी है, उन क्षेत्रों में खनन हो सकेगा। लेकिन इसके भी आदेश नहीं मिले है।

पहले भी एेसा हुआ
दरअसल 22 अक्टूबर 2013 को भी एनजीटी ने बिना पर्यावरण स्वीकृति के बजरी दोहन पर रोक लगा दी। करीब दो माह रोक लगने के बाद 21 दिसम्बर 2013 को पुन: बजरी का दोहन शुरू हुआ था। दो माह में बजरी के दाम आसमान छूने लगे थे। सरकार को दखल देनी पड़ी व दर तय करने के लिए जिला कलक्टर को अधिकार दिए। जिले में जहां भी बजरी का दोहन हो रहा है, इसके लिए सरकार ने अस्थाई आदेश 19 दिसम्बर 2013 को जारी किए थे।


नदी में पसरा सन्नाटा
क्षेत्र की प्रमुख बनास नदी में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश बाद बजरी खनन नहीं हो रहा है। जिसके कारण नदी क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ था। मजदूर बेरोजगार हो गए।