
भीलवाड़़ा का कपड़ा उद्याेेेग
भीलवाड़ा।
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने राजस्थान, हरियाणा व उत्तरप्रदेश के उद्योगों में काम आने वाले पेटकोक व फर्नेस ऑयल पर तुरंत रोक लगा दी। यह आदेश 15 नवम्बर से लागू कर दिए लेकिन राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को अभी सरकार ने कोई आदेश नहीं दिए। इन पर प्रतिबन्ध से अब उद्योगों को नए सिरे से व्यवस्था करनी होगी या नेचुरल गैस आधारित प्लांट लगाने होंगे। भीलवाड़ा के 18 प्रोसेस हाउस तथा स्पिनिंग मिलों में पावर प्लांट में लगभग एक हजार टन पेटकोक प्रतिदिन काम में आता है। चित्तौडग़ढ़, निम्बाहेड़ा, ब्यावर के सीमेन्ट समेत अन्य उद्योगों में हजारों टन पेटकोक के अलावा फर्नेस ऑयल काम में आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक नवम्बर से एनसीआर वाले जिलों सहित अन्य राज्यों में पेटकोक व फर्नेस आयल पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। पर्यावरण मंत्रालय के आदेश की पालना के लिए ईपीसीए ने भी आदेश जारी कर दिए। भीलवाड़ा के 18 प्रोसेस हाउस तथा स्पिनिंग मिलों में पावर प्लांट में लगभग एक हजार टन पेटकोक प्रतिदिन काम में आता है। चित्तौडग़ढ़, निम्बाहेड़ा, ब्यावर के सीमेन्ट समेत अन्य उद्योगों में हजारों टन पेटकोक के अलावा फर्नेस ऑयल काम में आता है। इन पर प्रतिबन्ध से अब उद्योगों को नए सिरे से व्यवस्था करनी होगी या नेचुरल गैस आधारित प्लांट लगाने होंगे।
बढ़ते प्रदूषण का दिया हवाला
हालांकि न्यायालय ने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता ने पेटकोक व फर्नेस की बिक्री पर भी रोक की मांग की। हालांकि मामला पूरे देश का है, लेकिन फिलहाल तीन राज्यों में उपयोग पर तुरन्त प्रतिबन्ध लगाया है। यह प्रतिबन्ध लगातार बढ़ते प्रदूषण के चलते लगाया गया है।
अब यह करना होगा
सीमेन्ट, प्रोसेस सहित अन्य उद्योग इस आदेश की पालना करते है तो उन्हें लिग्नाइट व आयातित कोयले के आधार पर मशीनरी लगानी होगी। इससे लाखों रुपए व्यय करने होंगे।
Published on:
18 Nov 2017 01:11 pm
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