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बांसुरी की धुन व भजन से भगा रहे गायों का तनाव, बढ़ा रहे दूध

नौगांवा गोशाला व पशुपालक आजमा रहे नुस्खा

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stress of cows running away the music of flute and bhajan in bhilwara

stress of cows running away the music of flute and bhajan in bhilwara

तेजनारायण शर्मा- भीलवाड़ा।

गीत-संगीत इनसानों को ही नहीं बल्कि पशुधन को भी भाता है। दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से पशुओं को बचाने और तनाव भगाने के लिए गीत संगीत का सहारा लिया जाता है। यह बात त्रेता युग में भी लागू थी, जब कान्हा की बांसुरी की धुन पर गायें दौड़ी चली आती थी। अब भीलवाड़ा के नौगांवा की माधव गो विज्ञान अनुसंधान संस्थान और उन्नत पशुपालक भी इस नुस्खे को आजमा रहे हैं। वे अपने दुधारू पशुओं को कान्हा की बांसुरी की धुन और भजन सुनाकर दुग्ध उत्पादन बढ़ा रहे हैं।


संगीत सुनने वाले पशुओं की न केवल सेहत बेहतर रहती है बल्कि दूध का उत्पादन बढ़ता है। करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान संस्थान का यह शोध भीलवाड़ा की माधव गोशाला में भी आजमाया जा रहा है। गोशाला में गायों को रोजाना सुबह-शाम गायों को संगीत सुनाया जाता है। बांसुरी और भजनों की धुन बजाई जाती है। बकौल गोशाला अध्यक्ष राजकुमार बंब, 'हमने काफी समय पहले सुना था कि गायों को संगीत एवं भजन काफी पसंद आते हैं। हमने जब यह विधि अपनाई तो उसके परिणाम काफी अच्छे आए।Ó एक शोध के अनुसार विदेशी गायों के मुकाबले देशी गायों में मातृत्व की भावना अधिक होती है। संगीत की तरंगें गाय के मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन हार्मोंस सक्रिय करती है, जो गाय को दूध देने को प्रेरित करती हैं।

बिजली गुलहोने पर टेप बंद हुआ तो घटा दूध
बनेड़ा क्षेत्र के बरण गांव के उन्नत पशुपालक शिवराज जाट का कहना है कि संगीत से पशुधन तनाव रहित रहता है। वह आराम से दूध देता है। संगीत सुनता पशुधन चिढ़ता नहीं है। कई बार बिजली चली जाती है तो संगीत बंद हो जाता है। ऐसे में दूध का उत्पादन कम होता है। यानी गीत-संगीत के बीच दुहने से पशुधन ज्यादा दूध देता है।


कई बीमारियां भगाता है संगीत
पशुपालकों का मानना है कि पशुधन संवेदनशील होता है। उनमें भावनाएं होती है और समय-समय पर अपनी भावनाएं जताते भी हैं। संगीत सुनकर पशुधन तनावमुक्त हो जाता है। संगीत से उन्हें कई तरह की बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं। उनका व्यवहार बदल जाता है।

संगीत के सकारात्मक नतीजे आए सामने
संगीत केवल मानव जीवन को ही सुकून नहीं देता है, बल्कि गोवंश पर भी इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। संगीत से गायों के दुग्ध उत्पादन की क्षमता में भारी वृद्धि हुई है। गोशाला में गायों को सुबह-शाम संगीत सुनाया जाता है।
-राजकुमार बंब, अध्यक्ष, माधव गो विज्ञान अनुसंधान संस्थान, नौगांवा