
The person lived his life in sleep and condemnation - Anupam Sagar
आज का व्यक्ति निद्रा एवं निंदा में ही जीवन बीता रहा है। आचार्य कहते है कि मूढ़ता ही निद्रा है, जहां मूढ़ता है वहां मूर्खता है और मूर्ख व्यक्ति अपने आप में गाफिल रहता है। धर्म को भी आज हमने रुढ़ी बना दिया है। हेय, उपाध्याय का विचार किये बिना व्यक्ति कार्य कर रहा है। आम आदमी सिर्फ सपने देख रहा है, लेकिन यह सपने सोते-सोते पूरे नहीं होते, उन्हें सफल बनाने के लिए कठोर परिश्रम की जरुरत होती है। सपना देखना बन्द करके सफलता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना होगा। यह बात तरणताल के सामने स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आज प्रातः चर्या शिरामणी आचार्य विशुद्ध सागर के परम प्रभावी शिष्य अनुपम सागर महाराज ने आर के कॉलोनी मंदिर में प्रवचन के दौरान कही।
महाराज ने कहाकि समाज लोक मूढ़ता में डूबा हुआ है। पिता को अन्तिम समय में दवाई या पानी पिलाने की फुर्सत नही थी, लेकिन मृत्यु के बाद उनके मुंह में गंगाजल डालने से न पिता का उद्धार होगा न ही पुत्र का। पिता की सेवा ही असली गंगाजल है। जैसे बीमारी से मुक्ति के लिए औषधि लेनी पड़ती है वैसे ही इस संसार रुपी कष्ट से मुक्ति लेने के लिए धर्म की औषधि लेनी ही पड़ेगी। अपने आत्म कल्याण के लिए जागना होगा। इससे पूर्व निर्मोह सागर महाराज ने कहाकि भगवान बनने की क्षमता सब में है, लेकिन उसके लिए व्यक्ति को जो कार्य कर रहा है, उससे आगे बढना होगा। भगवान के दर्शन, पूजन से आगे बढ़कर स्वाध्याय एवं ध्यान ही मार्ग प्रशस्त करेगा।
Published on:
18 Sept 2025 08:40 am
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