
क्वार्ट्स फेल्सपार, सोपस्टोन व अन्य मिनरल के पाउडर को फैक्ट्री से बाहर ले जाने पर ट्रांजिट पास(टीपी ) जरूरी करने के आदेश आते ही विरोध शुरू हो गया है
भीलवाड़ा।
क्वार्ट्स फेल्सपार, सोपस्टोन व अन्य मिनरल के पाउडर को फैक्ट्री से बाहर ले जाने पर ट्रांजिट पास(टीपी ) जरूरी करने के आदेश आते ही विरोध शुरू हो गया है। हालांकि एक जनवरी 2018 से यह पूर्णतया प्रभावी होगा लेकिन अभी से खनन उद्यमियों ने विरोध तेज कर दिया। उनका कहना है कि यदि टीपी लागू हुई तो ग्राइडिंग मिनरल उद्योग पर विपरित असर पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि पहले केवल चालान और बिल के आधार पर माल बाहर भेजा रहा था। जिले में 225 यूनिट एेसी है जो मिनरल ग्राइडिंग का काम करती है। आसींद, धुंवाला, रायसिंहपुरा, गठिला फार्म, महेंद्रगढ़, गंगापुर रीको, मोखुंदा, लाखोला चौराहा क्षेत्र में करीब 224 यूनिट में क्वार्ट्स फेल्सपार को पीसकर पाउडर तैयार होता है। यह पाउडर गुजरात के मोरवी व हिम्मतनगर में टाइल्स बनाने भेजते थे। अब तक यह माल चालान और बिल के आधार पर ही जा रहा था।
इससे ग्राइडिंग यूनिट्स में कितना अवैध रूप से माल आया, इसका पता नहीं लगता था। अब इन यूनिट्स को माल बाहर भेजने का रिकॉर्ड देना पड़ेगा। होगा। सरकार का मानना है कि इससे रॉयल्टी ज्यादा मिलेगी।
विरोध में यह बताया तर्क
गंगापुर खनिज उद्योग संघ के अध्यक्ष शेषकरण शर्मा की ओर से अतिरिक्त निदेशक खान विभाग के नाम ज्ञापन भेजा गया। इसमें ग्राइडिंग यूनिट्स की ओर से भेजे जाने वाले पाउडर पर ट्रांजिट पास को लागू नहीं करने की मांग की गई। बताया कि सभी यूनिट्स ने जीएसटी में पंजीयन करा रखा है। एेसे में जो भी उत्पाद की जानकारी है वैसे ही सरकार को पूरी मिल जाएगी। यदि कच्चे हमारे उद्योग को डीलर मानते हुए नियम लागू करते हैं तो जो लोग कच्चे माल का उत्पादन कर रहे हैं उनकी भी जांच होनी चाहिए। अभी यह उद्योग आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मार्बल, ग्रेनाइट, कोटा स्टोन, सैंड स्टोन, सिलिका सैंड, जिप्सम आदि पर भी टीपी की व्यवस्था नहीं है। एेसे में इसे भी मुक्त रखा जाए।
Updated on:
29 Dec 2017 12:17 pm
Published on:
29 Dec 2017 11:46 am
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