
unemployed performed of art education in bhilwara
भीलवाड़ा।
कक्षा एक से दसवीं तक कला शिक्षा अनिवार्य होने के बावजूद राजस्थान सरकार द्वारा एनसीईआरटी को गलत रिपोर्ट भेजने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई व शिक्षक भर्ती परीक्षा में कला शिक्षकों संगीत व चित्रकला शिक्षकों के पद सृजित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को कला शिक्षा के बेरोजगारों ने अनूठा प्रदर्शन किया। हाथों में ढोलक, पेटी, व गिटार के साथ आधे कपड़ों में थिरकते युवाओं के प्रदर्शन को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई।
जानकारी के अनुसार राजस्थान शिक्षा विभाग सचिवालय जयपुर के उच्चाधिकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय व प्रधानमंत्री कार्यालय को कला शिक्षा से संबंधित गलत रिपोर्ट भेजने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कला में उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों ने प्रदर्शन किया। इन बेराजगारों का कहना था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 व 1992 की संशोधित शिक्षा नीति के तहत पूरे देश के विधायलों में माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य रूप से चित्रकला व संगीत विषय का अध्ययन करवाया जाता है।
लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि 25 सालों से राजस्थान में इन दोनों विषयों का अध्यापन करवाया जाता है न ही कोई परीक्षा ली जाती है। केवल औपचारिकता के नाम पर गलत नंबर देकर पास कर दिया जाता है तथा आगे गलत रिपोर्ट भेज दी जाती है। इस तरह बच्चों को अनिवार्य शिक्षा के रूप में धीमा जहर दिया जा रहा है जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। वर्ष 1992 से माध्यमिक स्तर पर एक भी कला का पद सृजित नहीं किया गया। न ही इन दोनों विषयों के शिक्षकों की भर्ती की गई। 2017—18 में भी बच्चे कला शिक्षा से वंचित रह गए। इसलिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
शिक्षा मंत्री का फूका पुतला
कला शिक्षा के बेरोजगार हाथों में गिटार, पेटी व ढोलक के साथ नाचते गाते पहुंचे । इस मौके पर बेरोजगारों ने प्रदर्शन कर शिक्षा मंत्री का पुतला फूका तथा जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा।
Published on:
25 May 2018 02:46 pm
बड़ी खबरें
View Allभीलवाड़ा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
