
पेडों की झुरमट तो कही मचान से चौकस निगाहें, एक सरसराहट होते ही दूरबीन उसी दिशा में मुड जाती, मन में यही कौतुहलता की इस बार कौनसा वन्य जीव अपनी प्यास बुझाने यहां पहुंचेगा
भीलवाड़ा।
पेडों की झुरमट तो कही मचान से चौकस निगाहें, एक सरसराहट होते ही दूरबीन उसी दिशा में मुड जाती, मन में यही कौतुहलता की इस बार कौनसा वन्य जीव अपनी प्यास बुझाने यहां पहुंचेगा। ऐसा ही कुछ रोमांच से भरा नजारा सोमवार को धवल चांदनी रात में वन विभाग की तरफ से जिले के 59 वाटर पर की गई वन्य जीव गणना के दौरान था। मांडलगढ़, करेड़ा, बदनोर क्षेत्र में मचान पर चढ़े वन कर्मियों को तो पैंथर का ही इंतजार रात भर रहा। हालांकि उन्हें रात को उनकी दहाड़ व पदचाप भी सुनाई दी, लेकिन सामने कुछ भी नजर नहीं आया।
हमीरगढ़ ईको पार्क में चिंकारे छलांग लगाते दिखे तो नील गाय ही सर्वाधिक दौड़ती नजर आई।जिले में वन विभाग ने सोमवार सुबह दस बजे वन्य जीव गणना को लेकर मोर्चा संभाल लिया। इसके लिए उपवन संरक्षक एचएस हापावत ने 59 वाटर पैलेस के लिए वन कर्मियों की टीमें तैनाती की। सांझ ढलने के साथ ही यहां तैनात टीमें कही अधिक चौकस हो गई। रात आठ बजे बाद तो पूनम की चांदनी खिल उठने से वाटर पर पहुंचने वाले वन्य जीवों की पहचान कही अधिक सहज हो गई। यहां वाटर पैलेस पर मंगलवार सुबह आठ बजे तक वन्य जीव गणना जारी रहेगी।
जिले के आसीन्द, करेड़ा, बदनोर, मांडलगढ़ वन क्षेत्र में पैथर के कुनबे होने की संभावना के चलते वन कर्मियों ने मचान बांध रखे थे तो ऊंचाई पर टपरी बना रखी थी। यहीं से वो वाटर पैलेस पर नजर रखे हुए थे। भीलवाड़ा के क्षेत्रीय वन अधिकारी भंवर बारेठ ने बताया कि हमीरगढ़ ईको पार्क में रात आठ बजे वन्य जीव गणना के दौरान 36चिंकारा नजर आए, इसी प्रकार 38 जंगली सुअर, 34 जैकाल, 2 लोमड़ी, 3 नेवला,1 सेहली, 40 मोर तथा 105 नील गाय भी दिखी। यहां छह वाटर पैलेस पर वन्यजीव गणना की जा रही है।
Published on:
01 May 2018 01:01 pm
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