
Woe on the water crisis in bhilwara
भीलवाड़ा।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंकट गहरा गया है। पानी की समस्या इतनी विकट है कि पानी को लेकर बड़ा आंदोलन हो सकता है, जिससे कानून व्यवस्था पर संकट आ जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार गहराती पेयजल समस्या लोगों के सब्र का इम्तिहान ले रही है। गर्मियां आते ही लोगों को रोजाना पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
राजस्थान पत्रिका ने जिले के गांवों की हकीकत जानी तो सामने आया कि पानी के लिए 3 से 8 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से पेयजल व्यवस्था पर हर साल हजारों करोड़ का बजट खर्च किया जाता है, लेकिन पेयजल की समस्या गंभीर होती जा रही है।
अकाल के हालात फिर भी नहीं है इंतजाम
ब्राह्मणों की सरेरी. यहां चंबल परियोजना का काम हो गया, लेकिन अभी तक इसका पानी घर घर नहीं पहुंच पाया। ग्रामीण एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। करजालिया ग्राम पंचायत में पेयजल की भारी किल्लत है। यहां अकाल की स्थिति है। जल स्रोतों का स्तर काफी नीचे चला गया। कुएं व बावड़ी सूख चुके हैं। पंचायत के दुल्हेपुरा डौटा चेना का खेड़ा, उदलियास, बालापुरा, नारायणपुरा, कोरनास सहित सभी गांवों में पेयजल संकट ग्रामीण परेशान हैं। गांवों में पानी के टैंकर अब तक शुरू नहीं हुए है।
जल संकट से जूझ रहे हैं वन्य जीव
पीने के पानी का संकट जनता के लिए ही नहीं, वन्यजीवों के लिए भी है। प्यासे वन्यजीवों के आबादी क्षेत्र में घुसने की घटनाएं बढ़ रही है। जिले में गत एक माह में तीन बार पैंथर आबादी में आकर हमला कर चुका है। मवेशियों के लिए भी पीने के पानी का संकट हो रहा है।
पशुओं के साथ मजबूर ग्रामीण
बनेड़ा. बामणिया ग्राम पंचायत में पीने के पानी की भयंकर समस्या है। गांव में दो हैंडपंप हैं। दोनों लंबे समय से खराब पड़े हैं। पशुओं के पीने के लिए बनाई गई 'पो से ग्रामीण पानी पीने को मजबूर है। वार्ड पंच रामदेव बैरवा ने बताया कि हैंडपंप सही कराने की शिकायत की गई, लेकिन ग्राम पंचायत इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही।
हनुमाननगर. कुचलवाड़ा, ऊंचा, टीकड़, अमरवासी व कुचलवाड़ा खुर्द समेत करीब आधा दर्जन गांवों में लोगों ने पेयजल संकट को लेकर अपनी पीड़ा बताई। कुचलवाड़ा गांव निवासी नरपत सिंह शक्तावत ने बताया कि यहां 5 साल पहले पाइप लाइन बिछाई गई थी। इसमें पानी आज तक नहीं आया। इन पांच सालों में घरों के नलों में पानी की एक भी बूंद नहीं टपकी। लोग गांव के दो-तीन बोरिंग से पानी भर कर ला रहे हैं। कुचलवाड़ा खुर्द गांव के धनराज मीणा ने बताया कि नलों में महीने में 15-15 दिन में पानी मिल रहा है।
ढाई सौ घरों की आबादी है। लोग गांव के तीन कुओं पर ही निर्भर है। इन कुओं पर सुबह से शाम तक पानी भरने के लिए महिलाओं का रैला लगा रहता है। इसी तरह अमरवासी गांव निवासी निर्मल जैन ने बताया कि यहां 2से 5 दिनों में जलापूर्ति होती है। ये भी 20 मिनट ही आती है। गांव में 2 हैंडपंप चालू है, बाकि खराब है। इसी तरह टीकड़ व ऊंचा गांव मेंं बोरिंग व हैंडपंपों से ही लोग काम चला रहे हैं।
घंटों कतार में रहकर भर रहे पानी
अमरगढ़. क्षेत्र के अमरगढ़, भगुनगर, खजुरी क्षेत्र के ग्रामीण कई सालों से चंबल परियोजना की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन क्षेत्र में पाइपलाइन डालने का काम धीमी गति से हो रहा है। भरी गर्मी में पानी जुटाने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। हैंडपंप व पानी की टंकियों पर सुबह से ही महिलाओं को कतार में खड़े रहना पड़ता है, तब जाकर एक मटका पानी मिलता है। क्षेत्र के बाकरा, टीटोडा जागीर, किशनगढ़, बई, बरोदा, ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को भरी गर्मी के अंदर पानी के लिए क्षेत्रवासियों को जूझना पड़ रहा है।
दो कंपनियों में उलझा चंबल का काम
कंवलियास. चम्बल प्रोजेक्ट के पुराने टेंडर निरस्त हुए तो पुरानी कम्पनी ने काम करना बंद किया। इसी के साथ नए टेंडर अब हुआ है। मैनेजर सुनील शर्मा के अनुसार उनतीस माह का टाइम तय है। इस निर्धारित समय में 1200 किलोमीटर पाइप लाइन डालने तथा अन्य बाकी काम करना है। जलदाय विभाग के शिवराज भील के अनुसार हुरड़ा तहसील में कंवलियास मे 214, सरेरी 168, फलामादा में 168तथा हुरड़ा में 96 व गुलाबपुरा में 96 घण्टे में आंगुचा में 72 घण्टे में सप्लाई मिल रही है।
Published on:
10 May 2018 11:43 am
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