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जिला अस्पताल की बदहाली, PICU में भी बिजली गुल, मोबाइल टॉर्च की रोशनी में चल रहा इलाज, Video

Bhind District hospital : जिला अस्पताल में बिजली गुल, PICU तक में लाइट नहीं। पेशे से इलेक्ट्रीशियन मरीजो बोला- UPS बैकार पड़ा है। सोलर या जनरेटर भी नहीं है। मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज करने को मजबूर हैं अस्पताल के डॉक्टर।

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Bhind District hospital

Bhind District hospital : मध्य प्रदेश का भिंड जिला अस्पताल इन दिनों बदहाली की भैंट चढ़ा हुआ है। मूलभूत सुविधाओं और व्यवस्थाओं को तो छोड़िए पूरे जिले की सेहत का रक्षक ये अस्पताल बिजली समस्या से जूझ रहा है। हालात ये हैं कि यहां के चिकित्सक मजबूरन अपने या मरीजों के ही मोबाइल टॉर्च की रोशनी में उपचार कर रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि, अस्पताल के जनरल वार्ड तो छोड़िए, PICU जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी बिजली गुल है। इसका मतलब ये हुआ कि प्रदेशभर की तरह शहर में जारी बिजली कटौती की समस्या से जूझ रहे जिला अस्पताल में जनरेटर जैसी वैकल्पिक व्यवस्था तक दुरुस्त नहीं है।

प्रदेश के लगभग सभी शहरों की तरह मरम्मत के नाम बीते कुछ दिनों से बिजली कटौती की मार झेल रहे भिंड जिला अस्पताल भी शुक्रवार को अंधेरे में डूबा मिला। पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंशिव केयर यूनिट) जैसे संवेदनशील वार्ड में भी बिजली गुल होने से चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ को मोबाइल टॉर्च का उजाला कर मरीजों का उपचार करना पड़ रहा है। बताते चलें कि पीआईसीयू में इस समय 27 छोटे बच्चे भर्ती हैं।

मरीजों ने बयां की पीड़ा

-उमस और गर्मी ने किया बेहाल

7 वर्षीय मासूम बच्चे हर्ष की मां का कहना है कि चारों ओर से बंद वार्ड में बिजली गुल होने के कारण उमस और गर्मी ने बेहाल कर दिया है। हालात ये हैं कि, पूरे वार्ड में भर्ती मरीज और उनके परिजन तक हाथ से पेपर-कागज की मदद से पंखा झल रहे हैं, बावजूद इसके गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही।

-'UPS बैकार, सोलर या जनरेटर भी नहीं'

इलेक्ट्रिशियन मान सिंह का कहना है कि अस्पताल का यूपीएस काम नहीं कर रहा है। यहां सोलर पैनल, जनरेटर भी नहीं है। हालांकि, इनवर्टर की व्यवस्था है, जो सुबह 9 बजे शुरु किया गया था, लेकिन 11 बजे वो भी बंद हो गया। पूछने पर अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि वो भी खराब हो गया है। पीआईसीयू में कई बच्चे भर्ती हैं, जिनका गर्मी से बुरा हाल है।

-मोबाइल टॉर्च की रोशनी में जारी इलाज

महावीर गंज निवासी लता ने बताया कि लाइट न होने के कारण डॉक्टर सामान्य तौर पर मरीजों का उपचार तक नहीं कर पा रहे हैं। गंभीर मरीजों का उपचार मोबाइल टॉर्च की रोशनी से करना पड़ रहा है।

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क्या कहते हैं चिकित्सक

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत पाठक ने बताया कि वार्ड की बिजली नहीं रहने पर भी हम मरीजों के बेहतक उपचार की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर मोबाइल टॉर्च के जरिए भी उपचार किया जा रहा है। जिन लोगों को अधिक गर्मी लग रही है, वो अपने मरीज बच्चों को लेकर बाहर भी जा रहे हैं।