
scooty distribution scheme: मध्य प्रदेश शासन की मेधावी विद्यार्थियों के लिए स्कूटी वितरण योजना 2023-24 में बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। विद्यालय प्रबंधन और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से पात्र छात्रा को वंचित कर अपात्र को योजना का लाभ दिला दिया गया। अब जब मामला उजागर हुआ, तो इसे दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अटेर में इस योजना के तहत विद्यालय स्तर पर सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले एक छात्र और एक छात्रा को 1.20 लाख रुपए की राशि दी जानी थी। तत्कालीन प्राचार्य पी.एन. शर्मा ने 29 नवंबर 2024 को तीन विद्यार्थियों के नाम शासन को भेजे, जिनमें एक छात्र और दो छात्राएं शामिल थीं। जबकि नियमानुसार, केवल एक छात्र और एक छात्रा के नाम ही भेजे जाने थे।
बाद में, 4 जनवरी 2025 को प्रभारी प्राचार्य अवतार गोयल ने पात्र छात्रा सुमायला (पुत्री हामिद खान) का नाम सूची से हटा दिया और उसकी जगह आरती शाक्य (पुत्री राजू शाक्य) का नाम शासन को भेज दिया। इसी आधार पर 30 जनवरी 2025 को आरती शाक्य के खाते में 1.20 लाख रुपए की राशि जमा कर दी गई, जबकि उसके अंक 75.8 प्रतिशत (379/500) थे, और सुमायला के अंक 78.4 प्रतिशत (392/500) थे।
पात्र छात्रा सुमायला के पिता बैंक ग्राहक सेवा केंद्र संचालित करते हैं। उन्हें जानकारी थी कि उनकी बेटी को स्कूटी योजना का लाभ मिलना है, लेकिन जब वितरण हो गया और राशि खाते में नहीं आई, तो उन्होंने बैंक से जानकारी ली। तब पता चला कि राशि किसी और छात्रा के खाते में ट्रांसफर हो चुकी है। इस पर उन्होंने 22 फरवरी को शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन इसे दबाने की कोशिश की गई।
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को 3 मार्च को इस गड़बड़ी की जानकारी दे दी गई, लेकिन अब तक न तो राशि वापस हो पाई और न ही किसी की जिम्मेदारी तय हुई। प्राचार्य कौस्तुक निरंजन ने 4 मार्च को डीईओ को पत्र लिखकर गलती स्वीकारते हुए पात्र छात्रा को राशि दिलाने का अनुरोध किया, लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह कानूनी रूप से संभव नहीं है।
प्राचार्य कौस्तुक निरंजन का कहना है, गलती हुई है, लेकिन हम प्रयास कर रहे हैं कि राशि पात्र छात्रा को मिले। जिनके खाते में राशि गई है, उसे होल्ड करवा दिया गया है और दोनों पक्षों के बीच समझौते से समाधान निकालने की कोशिश करेंगे
खंड शिक्षा अधिकारी के.जी. शर्मा का कहना है, मामला मेरे संज्ञान में आया है। योजना के तहत विद्यालय के टॉपर छात्र और टॉपर छात्रा को लाभ दिया जाता है। अपात्र को कैसे लाभ मिला, इसकी जांच कर जिम्मेदारी तय की जाएगी।
इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जिले में अन्य विद्यालयों की स्कूटी योजना की जांच की जाए, तो और भी गड़बड़ियों का खुलासा हो सकता है। अब देखना होगा कि शासन इस अनियमितता पर क्या कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा।
Published on:
19 Mar 2025 09:00 am
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