विधानसभा सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ था और पहले दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी समेत दिवंगत हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद शनिवार और रविवार के अवकाश में दोनों विपक्षी दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देते रहे। नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चैटाला ने कहा कि सोमवार को सदन की बैठक में प्रश्नकाल के बाद इनेलो की ओर से सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर के निर्माण के मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि प्रस्ताव मंजूर नहीं किया गया तो सदन में संघर्ष किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार नहर निर्माण का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित होने की दलील देकर बचने का प्रयास करेगी तो इसकी पुष्टि के लिए दस्तावेज सदन में रखने की मांग की जाएगी।
उधर कांग्रेस विधायक दल की नेता श्रीमती किरण चौधरी का कहना है कि सरकार ने जनहित के नजरिए से महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके सवाल नामंजूर कर दिए हैं। किरण चौधरी ने कहा कि उन्होंने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सवाल रखा था लेकिन इसे नामंजूर कर दिया गया। कानून-व्यवस्था के नजरिए से प्रदेश के खराब हालात के बारे में सभी को पता है। आए दिन हत्या,बलात्कार और डकैती की वारदातें हो रही है। प्रदेश में सरसों की खरीद में घोटाला किया गया और सरसों खरीद का पूरा भुगतान किसानों को नहीं दिया गया। इस मुद्दे पर भी उनका सवाल नामंजूर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार सत्तर साल बाद टेलों तक पानी पहुंचाने के दावे करती है लेकिन नहरें सूखी है और पानी न मिलने से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर भी सदन में चर्चा नहीं करवाना चाहती।
किरण चौधरी ने कहा कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र तोशाम के गांव बापोडा को गोद लिया है। इस गांव के विकास के लिए सरकार ने कोई ग्रांट जारी नहीं की लेकिन इस पर भी सरकार ने उनका सवाल मंजूर नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गांव गोद लेने के बहुत जुमले छेडे है लेकिन गोद लिए गए गांवों के लिए एक रूपए मात्र की सहायता भी जारी नहीं की है। इस पर प्रस्तुत किया गया सवाल भी नामंजूर कर दिया गया है।
इनेलो ने अलग-अलग मुद्दों पर आठ काम रोको प्रस्ताव पेश किए थे। लेकिन विधानसभा सत्र की सीमित अवधि के मद्देनजर इन सभी प्रस्तावों को मंजूर करना भी संभव नहीं था। पिछले शुक्रवार को शुरू हुए सत्र के बीच दो दिन के अवकाश के बाद सोमवार और मंगलवार को ही बैठकें होना है। एक बैठक के लिए एक ही काम रोको प्रस्ताव मंजूर किया जा सकता है। सरकार चाहेगी तो सत्र के शेष दो दिन में दो काम रोको प्रस्ताव मंजूर किए जा सकेंगे। सरकार ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के जरिए मुद्दों को उठाने की अनुमति दे सकेगी।