
सोयाबीन की बुवाई की तैयारी
भोपाल. मानसून आते ही सोयाबीन की बुवाई की तैयारी भी शुरु हो गई है। मध्यप्रदेश में इसकी बुवाई 15 जून के आसपास से शुरू होती है। प्रदेश का सोयाबीन अपनी गुणवत्ता और उत्पादन के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। हालांकि लागत ज्यादा होने से किसानों का मुनाफा लगातार कम होते जा रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए किसानों को सोयाबीन की ऐसी किस्मों की बोवनी करनी चाहिए जोकि सबसे अधिक उत्पादक हों.
अपने खेत के लिए उपयुक्त ऐसी किस्मों का चयन कर समय पर सोयाबीन की बोवनी कर प्रदेश के किसान खासा लाभ उठा सकते हैं- कृषि विज्ञानियों के अनुसार अपने खेत के लिए उपयुक्त ऐसी किस्मों का चयन कर समय पर सोयाबीन की बोवनी कर प्रदेश के किसान खासा लाभ उठा सकते हैं। देश के सोयाबीन उत्पादन में राज्य का योगदान करीब 45 प्रतिशत है। हम आपको सोयाबीन की 5 उन्नत किस्मों की जानकारी दे रहे हैं जोकि उत्पादका के लिए मशहूर हैं।
जेएस 2034-इससे प्रति हेक्टेयर 24-25 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है
सोयाबीन की यह किस्म प्रदेश में बहुत पापुलर है. बारिश कम होने पर भी इससे अच्छा उत्पादन मिलता है। इससे प्रति हेक्टेयर 24-25 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। सोयाबीन जेएस 2034 किस्म की फसल करीब 85 दिनों में पक जाती है। इसकी बोवनी का सबसे अच्छा समय 15 जून से 25 जून तक का है। इसकी बोवनी के लिए प्रति हेक्टेयर 30-35 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। इसकी फली चपटी होती है जबकि दाने का रंग पीला और फूल का रंग सफेद होता है।
बीएस 6124- इसके फूल बैंगनी रंग के और लंबे पत्तों वाले होते हैं
इस किस्म से प्रति हेक्टेयर करीब 20 से 25 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है। बोवनी के लिए प्रति हेक्टेयर 35 से 40 किलो बीज पर्याप्त होता है। इस किस्म के सोयाबीन की फसल करीब 90 से 95 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। इसके फूल बैंगनी रंग के और लंबे पत्तों वाले होते हैं। इसकी बोवनी का सबसे अच्छा समय 15 जून से 25 जून है।
Published on:
19 Jun 2022 07:54 pm
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