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एमपी: यहां बन रही 262 किमी. की नई रेल लाइन, गांव वालों को मिलेगा मुआवजा !

Bhopal Ramganj Mandi Railway Line: जानकारी के अनुसार नरसिंहगढ़ डिविजन में करीब 26 गांव की जमीन इसमें आ रही है......

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Railway Line

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Bhopal Ramganj Mandi Railway Line: मध्यप्रदेश में भोपाल-रामगंजमंडी रेल लाइन के काम में लगातार हो रही देरी में नया कारण सामने आया है। जमीन अधिग्रहण पूरी तरह से नहीं होने और पूरी जमीन नहीं मिलने के कारण दिक्कत हो रही है।

रेलवे के संबधित ठेकेदार इसे लेकर काम नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, ब्यावरा डिविजन में कुछ पूरक अवॉर्ड शेष हैं, जो कलेक्टोरेट में पेंडिंग हैं। वहीं, नरसिंहगढ़ के लगभग सभी पूरक अवॉर्ड शेष हैं। बड़ोदिया तालाब और तुर्कीपुरा के लोगों ने मुआवजा लेने से ही इनकार कर दिया है।

इसीलिए इन प्रकरणों में लगातार देरी हो रही है, इनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। लगातार लेटलतीफी के कारण ही ऐसी स्थितियां बन रही हैं। जिले की सीमा में अलग-अलग जगह काम चल रहा है लेकिन जमीनों के मामले नहीं निपटने के कारण 2022 में हैंडओवर के दावे करने वाले जिम्मेदारों ने अब इसकी डेडलाइन 2025 पर पहुंचा दी। बता दें कि यह भोपाल-रामगंजमंडी रेल लाइन का यह प्रोजेक्ट पीएम के फास्ट ट्रैक प्रोजेक्ट में शामिल है, बावजूद इसके इसमें लेटलतीफी हो रही है।

नहीं लिया मुआवजा

नरसिंहगढ़ ब्लॉक के बड़ोदिया तालाब और कुरावर से लगे तुर्कीपुरा के ग्रामीणों ने वहां पारित हुए अवॉर्ड की राशि लेने से इनकार कर दिया है। बड़ोदिया तालाब में करीब 172 किसानों के अवॉर्ड हैं, जो अभी पारित नहीं हो पाए हैं।

ग्रामीणों ने पत्रिका को बताया कि 2017 में रेट 12 लाख रुपए प्रति हैक्टेयर था और अब वह नौ लाख रुपए हो गया। यह राशि बढ़ने के बजाए घट गई। साथ ही 2017 से जमीन आवंटित कर लेने के बावजूद हमें ब्याज नहीं दिया गया। इसीलिए हमने यहां के लिए स्वीकृत मुआवजा राशि लेने से इनकार कर दिया है। इस संबंध में ग्रामीण एसडीएम, तहसीलदार के साथ ही कलेक्टर को भी शिकायत कर चुके हैं।

26 गांवों की जमीन आ रही

जानकारी के अनुसार नरसिंहगढ़ डिविजन में करीब 26 गांव की जमीन इसमें आ रही है। 2017 में 20 गांव इसमें शामिल थे और 2022 में बढ़कर 26 हो गए। 2017 में जो जुड़े थे उन्हें अभी तक का ब्याज दिया गया है और बाद वाले जो गांव जुड़े उन्हें कम समय का ब्याज मिला, इसीलिए अंतर आ रहा है।

एसडीएम ऑफिस से जुड़े रेलवे प्रकरण देखने वाले कर्मचारियों ने बताया कि यह अंतर सिर्फ बाद में किए गए अधिग्रहण के कारण आ रहा है। इसके अलावा पहले सिंगल लाइन के हिसाब से जमीन का अधिग्रहण था और अब नये सिरे से डबल लाइन के लिए किया गया है। इसीलिए कई गांव की जमीन अधिग्रहित की जाना शेष है।