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सुरक्षित डिलीवरी के लिए कारगर हैं दादी-मां के नुस्खे, जानिए कौन सी एक्सरसाइज है सबसे ज्यादा सेफ

पौष्टिक आहार के साथ नार्मल डिलीवरी पर जोर.....

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भोपाल। सुरक्षित प्रसव के लिए आज भी दादी-मां के नुस्खे कारगर हैं। इसकी तस्दीक जीएमसी के गायनिक विभाग के आंकड़े करते हैं। विभाग में पिछले साल कुल 12,343 बच्चों ने जन्म लिया। इनमें नॉर्मल डिलीवरी 8300 जबकि, 4043 सिजेरियन डिलीवरी हुई। जो महिलाएं नियमित एक्सरसाइज और टहलने के साथ कामकाज करती रहीं उनकी नार्मल डिलीवरी हुई।

सिजेरियन की वजह

शहर केप्रमुख गायनेकोलॉजिस्टों के अनुसार अब गर्भवती महिलाएं शारीरिक श्रम कम करती हैं। इससे वजन बढ़ जाता है। हेल्दी फूड्स न खाना और अधिक उम्र में गर्भधारण से बॉडी में फ्लैक्सिबिलिटी कम हो जाती है। मूवमेंट कम होने से नार्मल डिलीवरी में दिक्कत आती है। इसीलिए ज्यादातर डॉक्टर सिजेरियन की सलाह देते हैं।

कौन सी एक्सरसाइज है सेफ

प्रेग्नेंट महिला को हर दिन कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए। रेगुलर एक्सरसाइज से मूड अच्छा रहता है, पॉस्चर सही बना रहता है। स्वीमिंग और वाटर ऐरोबिक्स प्रेग्नेंसी के लिए परफेक्ट वर्कआउट है। प्रेग्नेंसी के दौरान वॉक करना सबसे सेफ है। लो इम्पैक्ट ऐरोबिक्स या लाइट जुम्बा भी किया जा सकता है। दादी मां के जमाने में आटा पीसना और पेट के व्यायाम से जुड़े काम होते थे। यह भी कारगर हैं।

डॉ. अरुणा कुमार, एचओडी, गायनिक विभाग,जीएमसी का कहना है कि मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के उद्देश्य से डॉक्टर काम करता है। गर्भावस्था या प्रसव में किसी तरह की जटिलता पर ही सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है।

डॉ.आशीष गोहिया, अधीक्षक हमीदिया अस्पताल का कहना है कि लगातार बढ़ रही स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के साथ साथ सरकार की योजनाओं का यह नतीजा है। गर्भावस्था के दौरान सही देखभाल व रुटीन चेकअप की भूमिका भी अहम है।

इन बातों का ध्यान रखें गर्भवती महिलाएं

ए म्स के गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अजय हलदर के अनुसार गर्भवती महिलाएं नार्मल डिलीवरी चाहती हैं तो गर्भावस्था के दौरान पूरी तरह से शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहें, सही आहार लें, पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें, खूब टहलें और नियमित रूप से व्यायाम करें।

डब्ल्यूएचओ का आंकड़ा

प्रदेश में सरकारी मेडिकल कालेजों के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग समेत स्वास्थ्य से जुड़े अन्य संस्थानों में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की स्थिति, उन्हें दिए जाने वाले पोषक आहार और उनकी जीवनशैली पर काम हो रहा है। ताकि गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशु की सेहत का ध्यान रखा जा सके। इसमें सीजर के बजाय नार्मल डिलीवरी पर जोर दिया जाता है।