
भोपाल। मध्यप्रदेश में हुए सिमी आतंकियों के एनकाउंटर मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। भोपाल की गांधीनगर जेल के प्रहरी की हत्या कर भागे 8 आतंकियों का एनकाउंटर फर्जी नहीं था। ज्यूडीशियल इंक्वारी की रिपोर्ट में इसे एनकाउंटर को सही बताया गया है। हालांकि अधिकारी अधिकृत तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे है।
फर्जी एनकाउंटर की न्यायिक जांच कर रहे रिटायर जस्टिस एसके पांडे ने 9 माह बाद अपनी रिपोर्ट एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (सामान्य प्रशासन) को सौंप दी है। उन्होंने 12 पेज की ज्यूडिशियल इन्क्वायरी की रिपोर्ट के साथ सैकड़ों पेज के एनेक्स्चर भी सौंपे हैं।
दिवाली की रात भोपाल जेल के प्रहरी की हत्या कर 8 आतंकियों के जेल से भागने और उनके एनकाउंटर करने के मामले में पुलिस को क्लीन चिट मिल गई है। उस समय सरकार पर फर्जी तरीके से सिमी कार्यकर्ताओं को जेल से भगाने और उनका फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगे थे।
कुछ भी बोलने को तैयार नहीं अधिकारी
जिम्मेदार अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को बेहद गोपनीय बताया है, इसलिए वे अधिकृत तौर पर मीडिया को किसी भी प्रकार के सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि दिसंबर-2017 में प्रस्तावित विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रख देगी। तभी कुछ कहने की स्थिति बनेगी।
सही था सिमी के गुर्गों का एनकाउंटर
होम डिपार्टमेंट के सिनियर अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि न्यायिक जांच की रिपोर्ट में हालात और परिस्थिति का हवाला देते हुए जेल ब्रेक करके भागे 8 सिमी आतंकियों के एनकांउटर को सही ठहराया है।
पुलिस ने तो जवाब में चलाई गोलियां
सूत्रों के मुताबिक जांच आयोग ने ग्रामीणों के बयान के आधार पर अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि SIMI आतंकियों को पुलिस ने मनीखेड़ी गांव के आसपास घेर लिया था और उन्हें सरेंडर करने को कहा था, लेकिन आतंकियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी गोलीबारी की तो 8 आतंकी ढेर हो गए।
सीएम की घोषणा के बाद शुरू हुई थी न्यायिक जांच
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एनकाउंटर के बाद 7 नवंबर 2016 को जस्टिस एसके पांडे की अध्यक्षता में 3 माह के लिए सिंगल मेंबर का न्यायिक जांच आयोग गठित किया था बाद में इसका कार्यकाल 9 माह तक बढ़ाया गया।
जांच रिपोर्ट में और क्या
-जेल और पुलिस विभाग को मर्ज करने की सिफारिश की गई है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
-रिपोर्ट के मुताबिक 8 आतंकी जेल प्रहरी रमाशंकर की हत्या कर चादर की रस्सी बनाकर बाउंड्रीवॉल फांदकर भागे थे।
-सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जेल में क्षमता से अधिक दोगुने कैदी भर रखे हैं। जेल प्रबंधन ने इस संबंध में पत्र भी लिखा था, लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
पुलिस की मदद करने वालों को नहीं मिला इनाम
जेल फांदकर भागे सिमी के 8 आतंकियों को पकड़वाने में पुलिस की मदद करने वाले ग्रामीणों को पिछले साल दो अक्टूबर को मुख्यमंत्री के हाथों सम्मान करवाया गया था। इस मौके पर उन्हें 5 लाख रुपए की राशि देने और आत्मरक्षा के लिए एक बारह बोर की बंदूक के लिए लाइसेंस देने की भी बात कही गई थी। लेकिन, अब तक यह लोग निराश हैं।
Published on:
20 Sept 2017 12:57 pm
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