
(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)
MP News: गणितीय गणना के सामने एआइ बेअसर है। कुंडली तैयार करते वक्त ग्रहों की स्थिति का आकलन करना होता है और जन्म के समय के आधार पर अनुभव से पत्रिका को तैयार किया जाता है। एआइ के आकलन को विश्व की किसी संस्था ने मान्यता नहीं दी है। ये बातें नेहरू नगर स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद सभागार में कालिदास राष्ट्रीय महर्षि ज्योतिष सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहीं।
इसमें देश के 12 राज्यों से आए ज्योतिषाचार्यों ने वैदिक ज्योतिष और आधुनिक तकनीक, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव पर गहन विचार-विमर्श किया। हालांकि सम्मेलन में बालाघाट से आए ज्योतिषाचार्य डॉ.अरविंद तिवारी ने बताया कि एआइ जैसी आधुनिक तकनीकों ने पंचांग और कुंडली निर्माण जैसे कार्यों को अत्यंत सरल बना दिया है, जिससे समय की बचत हुई है।
वहीं वर्तमान वैश्विक परिदृश्य पर बात करते हुए पंचांगकार पं. विनोद गौतम ने ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर युद्ध की संभावनाओं में कमी आने की बात कही। उन्होंने बताया कि मंगल ग्रह के अपनी नीच राशि से कर्क राशि में प्रवेश करने से तनाव की स्थिति कम होगी, जो कि एक सकारात्मक संकेत है।
इसी तरह इंदौर की ज्योतिषाचार्य डॉ. वसुंधरा शर्मा ने एआइ की उपयोगिता को सराहा। उनके अनुसार, एआइ ने ज्योतिषीय सलाह को अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद की है, क्योंकि यह गणनाओं में लगने वाले समय को कम करता है। उन्होंने कहा कि तकनीक एक सहायक उपकरण के रूप में कार्य करती है, लेकिन ज्योतिष की आत्मा का स्पर्श केवल पारंपरिक और अनुभवी ज्योतिषियों के माध्यम से ही संभव है।
Published on:
13 Jul 2025 04:12 pm
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