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अनूठे महादेव: एक साथ होता है 1008 शिवलिंग का अभिषेक

locationभोपालPublished: Jul 13, 2020 04:43:23 pm

Submitted by:

Manish Gite

Highlights

मध्यप्रदेश में हैं कई अनूठे शिवलिंग
रायसेन जिले में है आशापुरी गांव
एक साथ 1008 शिवलिंग का हो जाता है अभिषेक
एक शिवलिंग को तराशकर बनाए हैं 1008 शिवलिंग

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भोपाल। मध्यप्रदेश में एक अनूठा शिवालय है, जिसकी खास बात यह है कि एक बार में ही 1008 शिवलिंग का एक साथ अभिषेक हो जाता है। एक ही शिवलिंग के ऊपर सभी शिवलिंग स्थापित हैं। यह पत्थरों से तराशकर बनाए गए हैं।

रायसेन जिले के भोजपुर मंदिर के पास ही स्थित आशापुरी गांव में यह शिवलिंग खुदाई में मिला था। लोगों की आस्था है कि यहां हर मांगी गई मनोकामना पूरी हो जाती है। इसकी बनावट के कारण यह शिवलिंग अनूठा बन गया है। क्षेत्र के लोग इसे भिलोटा देव के नाम से भी पुकारते हैं।

इस शिवलिंग के सामने नंदी व पास में मां पार्वती की प्रतिमा भी स्थापित है।शिवलिंग दर्शन एवं पूजा करने भोपाल सहित दूरदराज से बड़ी संख्या में लोग आते है। ग्रामीण बताते हैं कि इस शिवलिंग में 1008 छोटे-छोटे शिवलिंग के होने से एक साथ सभी की पूजा करने का फल मिल जाता है।

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https://youtu.be/scnBJfdLYAk

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‘ऊँ’ आकार के बीच है भोजपुर का मंदिर, इस नजारे से वैज्ञानिक भी हो गए थे हैरान

सावन और महाशिवरात्रि पर लगता है मेला
यहां के संजय महाराज नाम के पुजारी बताते हैं कि सावन मास में और महाशिवरात्रि के वक्त यहां मेला भराता है। बड़ी संख्या में इस अनूठे शिवलिंग के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां भंडारे का भी आयोजन होता है। महाराजजी बताते हैं कि यहां भजन-कीर्तन में भी बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचते हैं।

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भूतेश्वर महादेव भी है अनोखे
आशापुरी गांव में ही भूतेश्वर महादेव भी हैं, जो चारों तरफ खंडहर के बीच विराजमान हैं। परमारकालिन अवशेषों के बीच बेशकीमती धरोहर के बीच यह स्थान फिलहाल बंद कर रखा है। पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यह मंदिर है, जो खंडहर की शक्ल में है।

 

यह है मंदिर की लोकेशन
रायसेन जिले के भोजपुर मंदिर के दर्शन करने के बाद 8 किलोमीटर दूर स्थित आशापुरी गांव में स्थापित है यह शिवालय। यहां पर किसी भी वाहन से जाया जा सकता है। इसके अलावा औबेदुल्लागंज से भी करीब 10 किलोमीटर चलने के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। दोनों मार्गों से बस या निजी वाहन के लिए रास्ता है। आशापुरी में गांव से 300 मीटर की दूरी पर 9वीं से 12वीं सदी के बीच निर्मित प्रतिहारकालीन मंदिर समूह के अवशेष संरक्षित है।

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