
कोरोना का कहर नहीं थमा तो ऐसे होगी बच्चों की वार्षिक परीक्षा
भोपाल. एमपी में कोरोना कहर नहीं थमा तो बच्चों की परीक्षा लेने का तरीका बदल जाएगा, परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं होगी, लेकिन ऑफलाइन परीक्षा भी बच्चा घर से दे सकेगा, जिसके लिए बच्चों को होम बेस्ड वर्कशीट दी जाएगी, जिसमें प्रश्न भी लिखे होंगे, इस कॉपी को बच्चा परीक्षा देने के बाद परिजन स्कूलों में जमा करवाएंगे, इसी के साथ कक्षा पांचवीं-आठवीं को लेकर भी राज्य शिक्षा केंद्र ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जिसके आधार पर अगर बच्चा किसी कारणवश पास नहीं हो पाता है, तो उसे उसी कक्षा में अध्यन करना होगा।
प्रदेश में 12 साल बाद 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर कराने के लिए कवायद तेज है। राज्य शिक्षा केंद्र ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग परीक्षण करेगा। अगर प्रावधान सटीक हुए तो ड्राफ्ट स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के पास जाएगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम से अलग बोर्ड परीक्षा में छात्रों के लिए निर्धारित अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। अगर कोई छात्र-छात्रा उतने अंक नहीं ला पाता है तो उसे दो महीने दिए जाएंगे। इसके बाद फिर मूल्यांकन होगा। तय अंक प्राप्त करने पर अगली कक्षा में प्रवेश मिलेगा। अंक हासिल नहीं कर पाने पर डिटेंशन यानी रोका जाएगा। छात्र को फिर से उसी क्लास में अध्ययन करना होगा।
अप्रेल में हो सकती है परीक्षा
राज्य शिक्षा केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक 5वीं और 8वीं में एक लाख सरकारी स्कूलों में 16 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। परीक्षाएं कराने पहले मार्च 2022 का समय तय था। क्योंकि अभी ड्राफ्ट पर शासन और मंत्री की मुहर नहीं लगी है। इसके बाद व्यवस्था जमाने में भी समय लग सकता है। ऐसे में अब परीक्षा शुरू करने के लिए अप्रेल का महीना तय किया गया है।
प्लान बी तैयार
कोरोना संक्रमण और तीसरी लहर की स्थिति मार्च-अप्रेल में चरम पर होने की आशंका है। ऐसे में बोर्ड पैटर्न पर परीक्षाएं करवाने के हालात नहीं हुए तो केंद्र ने प्लान बी भी तैयार कर रखा है। शासन की सहमति से मार्च में होम बेस्ड वर्कशीट यानी प्रश्न लिखी हुई कॉपियां छात्र-छात्राओं को दी जाएंगी, जिसे घर से हल करके स्कूल में जमा करवाना होगा।
Published on:
25 Dec 2021 09:00 am
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