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अर्चना तिवारी केस: एसपी राहुल लोढ़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौंकाने वाला खुलासा, सामने आया लव एंगल

Archana Tiwari Case : अर्चना तिवारी मिसिंग केस में एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलासा कर दिया है। मामले में लव एंगल सामने आया है।

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Archana Tiwari Case

अर्चना तिवारी केस, एसपी राहुल लोढ़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस (photo Source- Patrika)

Archana Tiwari Case :मध्य प्रदेश के इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के बी-3 कोच में सवार होकर कटनी जा रही अर्चना तिवारी के रहस्यमयी तरीके से लापता होने का राज खुल गया है। भोपाल जीआरपी एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे मामले का खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि, 13 दिन बाद एमपी जीआरपी टीम उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले से सटी नेपाल बॉर्डर के धनगढ़ी शहर के एयरपोर्ट से बरामद कर भोपाल ले आई है। मामले में लव एंगल सामने आया है।

जीआरपी एसपी के खुलासे के अनुसार, वकील और सिविल जज एस्पिरेंट अर्चना तिवारी का एमपी के ही शुजालपुर में रहने वाले सारांश जैन नाम के लड़के से प्रेम प्रसंग चल रहा है। सारांश इंदौर की एक कंपनी मे काम करता था। दोनों की मुलाकात 1 जनवरी को ट्रेन में हुई थी, जिसके बाद से दोनों के बीच बातचीत होने लगी, जो देखते ही देखते प्यार में बदल गई। अर्चना ने सारांश के साथ ही नेपाल जाने की योजना बनाई थी। जानकारी ये भी है कि, सारांश के पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं।

ढाबे पर बनाया प्लान

GRP पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए खुलासा किया कि, अर्चना तिवारी के लिए लगातार शादी के रिश्ते आ रहे थे, लेकिन वो शादी नहीं करना चाहती थी। शुजालपुर के रहने वाले सारांश से अर्चना की इंदौर से निकली एक ट्रेन में 1 जनवरी को दोस्ती हुई थी। दोनों के बीच बातचीत की शुरुआत लीगल एडवाइज से शुरु हुई थी। जो दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। इस बीच अर्चना के घर वालों ने पटवारी से उसका रिश्ता तय कर दिया और पढ़ाई छोड़कर शादी करने का दबाव बना रहे थे। ये जानकारी अर्चना ने सारांश जैन को हरदा के एक ढाबे पर बताई थी। यही दोनों ने भागने का प्लान बनाया। लेकिन बाद में भागने की प्लानिंग कैंसल कर गुमशुदगी का प्लान बनाया। अर्चना को लगा था कि, जीआरपी मिसिंग केस को इतना सीरियस नहीं लेती और इसी का फायदा उठाकर वो अपने परिवार से दूर प्रेमी के साथ स्वतंत्र जीवन जी सकेगी।

अर्चना ने खुद बनाई अपहरण की प्लानिंग

एसपी रेल के अनुसार, इस पूरे मामले में तेजन्दर नामक एक व्यक्ति ने भी उनकी मदद की है। तेजन्दर ने ही इटारसी स्टेशन से पहले आउटर पर उतरने का अर्चना को सुझाव दिया था। उसी ने बताया था कि, अगर पुलिस से बचना चाहती हो तो रास्ते में पड़ने वाले CCTV से बचकर गुजरना। तेजन्दर ही वो शख्स है, जिसने नर्मदापुरम में ट्रेन में ही अर्चना को कपड़े दिए, जिसके बाद अर्चना B3 कोच से A2 कोच पहुंची और उससे बाहर निकली। तेजन्दर के बताए अनुसार, आउटर से अर्चना बाहर निकली, उस रास्ते से गुजरी, जहां CCTV नहीं थे। इतना ही नहीं अर्चना तिवारी ने मोबाइल तेजन्दर को बागतवा के जंगलो में फेंकने को कहा था। इसके बाद अर्चना सारांश के साथ शुजालपुर आ गई, जो वो दोनों दो दिन एक साथ रहे। इधर, उसी रात एक फ्रॉड केस में तेजन्दर को दिल्ली पुलिस उठा ले गई।

जानबूझकर ट्रेन में छोड़ा था सामान

राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि अर्चना ने जानबूझकर ट्रेन में समान छोड़ा, ताकि पुलिस को लगे कि, अर्चना रास्ते में ही कहीं गिर गई है। यही नहीं, मोबाइल भी जंगल के पास बंद किया था। हालांकि अर्चना सारांश से वह व्हाट्सएप कॉल पर बात करती रही, इसलिए पुलिस को CDR नहीं मिल सकी। लेकिन, सारांश को जब पुलिस ने उठाया तो मामले की परतें खुखने लगीं।

मामले में कोई केस नहीं नहीं बनता

दोनों ने यात्रा के दौरान टोल से गुजरना भी एवाइड किया। इंदौर में खरीदा गया फोन फैकने के बाद रास्ते से एक नया फोन खरीदा। दोनों मध्य प्रदेश नहीं छोड़ते, लेकिन मामले की मीडियाबाजी बोने के चलते दोनों ने राज्य छोड़ने का फैसला लिया। इसके बाद दोनों पहले हैदराबाद गए और फिर नेपाल जाने की प्लानिंग की। बस से जोधपुर के रास्ते दिल्ली होते हुए पहले अर्चना काठमांडू पहुंची। पीछे से सारांश भी पहुंच गया। लेकिन, मामले के अधिक तूल पकड़ने पर सारांश काठमांडू से लौट आया। सारांश जानबूझकर अपना मोबाइल इंदौर में ही छोड़ गया था, ताकि कोई उस तक पहुंच न सके। सारांश को राउंडअप करने के बाद अर्चना को बॉर्डर तक बुलाकर पुलिस ने राउंडअप किया। फिर दिल्ली के रास्ते उसे फ्लाइट से भोपाल लाया गया। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि, इस मामले में कोई आपराधिक केस भी नहीं बनता है, क्योंकि लड़की अपनी मर्जी से भागी थी।

अर्चना ने अचानक बदला था प्लान

बताया जा रहा है कि अर्चना सबसे पहले 6 अगस्त को ही इस कहानी को अंजाम देने वाली थी। लेकिन अचानक उसने प्लान बदल दिया। 6 अगस्त को ग्वालियर के आरक्षक राम तोमर ने उसका बस टिकिट बुक कर दिया। आरक्षक राम तोमर की इंदौर और दिल्ली की लोकेशन ट्रेस भी जीआरपी को मिली थी। राम तोमर के लगभग 10 दोस्तों से भी जीआरपी पूछताछ कर चुकी है। जिसमें पुलिस, राजनीतिक और आम दोस्त भी शामिल हैं। ये भी मामला सामने आया कि, इस मामले में राम तोमर का सीधा कनेक्शन तो नहीं निकला, लेकिन वो भी कहानी का अहम किरदार था।