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Jyotiraditya Scindia news: क्या सीएम बनना चाहते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, कह दी बड़ी बात

jyotiraditya scindia news- केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से पत्रिका की खास बातचीत...।

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भोपाल

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Manish Geete

Dec 07, 2023

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से पत्रिका की खास बातचीत...।

Jyotiraditya Scindia interview- नई दिल्ली के राजीव गांधी भवन में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कार्यालय में व्यस्त थे। उनसे मिलने कक्ष के बाहर काफी लोग प्रतीक्षा में हैं। सदन जाने से पहले मुलाकात कर रहे हैं। इनमें माया सिंह के साथ नए विधायक, राजनीतिक और आम लोग भी हैं। इसे देख नई दिल्ली तक मध्यप्रदेश की सरगर्मी का सहज अंदाजा हो जाता है।

पत्रिका के नितिन त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश में भाजपा की सफलता पर उनसे विस्तृत बातचीत की, पेश है प्रमुख अंश...

नई सरकार में क्या भूमिका रहेगी?

मैंने अपने राजनीतिक कॅरियर में कभी अपनी भूमिका तय नहीं की। मैं हमेशा कार्यकर्ता की भूमिका में रहा हूं। आप देख रहे हैं मैं मंत्रालय में काम कर रहा हूं, सदन की तैयारी के लिए फाइल निपटा रहा हूं।

चुनाव में एंटी इन्कंबेंसी को कैसे मैनेज किया?

प्रदेश में एंटी इन्कंबेंसी थी ही नहीं। ऐसा होता तो जनसभाओं में इतनी संख्या में लोग नहीं आते। हमें मंच से उतार दिया जाता या कोई सुनने ही नहीं आता। सही तो यह है कि प्रो इन्कबेंसी बनाई गई। चुनाव से पहले जो बात की जा रही थी वो चुनाव शुरू होने के बाद नजर नहीं आई।

इस चुनाव में 12 मंत्री चुनाव हार गए?

चुनाव में बहुत सारी बातें होती हैं। हार-जीत तो होती है। पर इसे विरोध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को लेकर विरोध था तब उसकी मात्र 37 सीट ही आई थीं। उनकी सभाओं तक में लोग नहीं जाते थे।

भारी बहुमत का श्रेय किसे देते हैं?

पीएम को, इतना बहुमत उन्हीं की वजह से मिला। अमित शाह की रणनीति और जेपी नड्डा के नेतृत्व में चुनाव में बढ़े। भाजपा का कार्यकर्ता, जो पूरी ताकत से जुटा रहा। प्रदेश संगठन के प्रमुख वीडी शर्मा और सीएम शिवराज सिंह को। सीएम ने विकास के जो काम किए, वो अद्भुत हैं।

बिना चेहरे के चुनाव था, तो अब सीएम कौन होगा?

भाजपा में निर्णय पार्टी फोरम में लिया जाता है। 2-3 दिन में नाम मिल जाएगा।

आप भी हो सकते हैं?

मैं ऐसी किसी दौड़ में नही हूं। 2018 में कांग्रेस जीती तब भी अपना नाम नहीं लिया, कमलनाथ पर सहमति जताई।


मप्र में किसे गेमचेंजर मानते हैं?

मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही गेमचेंजर हैं। उनकी जनहितकारी योजनाओं ने हर भारतवासी को छुआ है। स्टार्टअप, मुफ्त अनाज से लेकर सीखो और करो तक कितनी ही योजनाएं हैं जो लोगों को प्रभावित करती हैं।

कांग्रेस के जो मुद्दे कर्नाटक, हिमाचल में गेमचेंजर बने, वो मप्र में नहीं चले?

कांग्रेस को जनता पूरी तरह नकार चुकी है। अभी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नतीजे देखिए। इनसे स्पष्ट है कि अब जनता कांग्रेस को पसंद नहीं कर रही है।