
भोपाल. बिड़ला कंपनी को छतरपुर बंदर खदान से हीरा खनन का काम तीन साल में शुरू करना है, जिसकी समय सीमा 20 अगस्त 2022 को खत्म हो रही है। अगर यह खदान चालू हो जाती तो प्रदेश सरकार को हर साल 472.65 करोड़ रुपए मिलते। इधर, ढाई साल सिर्फ केन्द्र सरकार के पत्राचार और सवाल-जवाब में ही बीत गए। अब केन्द्र चाहे तो समय सीमा बढ़ा सकती है, वह भी दो साल के लिए ही। यानी 2024 तक कंपनी को तमाम अनुमतियां लेकर खदान चालू करनी होगी।
बंदर हीरा परियोजना अपनी तरह की पहली ग्रीनफील्ड डायमंड माइनिंग परियोजना है। इसमें एशियाई क्षेत्र की सबसे बड़ी हीरे की खदानों में से एक बनने की क्षमता है जो अंततः मध्य प्रदेश राज्य को वैश्विक मानचित्र पर लाएगी। बंदर डायमंड बुन्देलखंडियों के लिए लाभ, रोजगार के अवसर और एक नयी अर्थव्यवस्था को जन्म देगी।
विश्व भर के 15 में से 14 हीरे भारत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं। और ज्यादातर यह कारोबार सूरत, गुजरात में होता है। बंदर हीरा परियोजना के साथ, राज्य सरकार बुंदेलखंड क्षेत्र के आसपास के हजारों युवाओं के लिए रोजगार पैदा कर सकती है। हीरा पॉलिश उद्योग के लिए अपने युवाओं को कौशल और प्रशिक्षित करने की क्षमता के मामले में मध्य्प्रदेश का छतरपुर, गुजरात के सूरत को पीछे छोड़ सकता है। वहीँ एक दूसरी और छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो पहले से ही प्रतिष्ठित वैश्विक स्थलों की सूची में है और राज्य सरकार पहले से ही खजुराहो में एक नया हीरा नीलामी केंद्र शुरू करने पर विचार कर रही है, जो की खजुराहो को एक नई देगा।
अनुमतियों की गति धीमी
बंदर हीरा खदान का मामला दो साल से वहीं अटका है। तमाम विरोधों के बाद अनुमतियों की गति धीमी पर गई है। पहले वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सवाल किया कि खदान का रकबा कैसे कम किया जा सकता है। पेड़ काटना कैसे कम कर सकते हैं। दोनों मामलों में कंपनी का जवाब था कि इसे कम नहीं कर सकते। इसके बाद कहा गया कि पेड़ों की कटाई से ऑक्सीजन की मात्रा कम होगी। इस पर कंपनी ने कहा, पौधरोपण के लिए जमीन और राशि दी जा रही है। पन्ना टाइगर रिजर्व और नौरादेही अभयारण्य के बीच बक्स्वाहा के इमली घाट एरिया में ही हीरा खदान प्रोजेक्ट प्रस्तावित है।
केन्द्र का अंडरग्राउंड माइनिंग का प्रस्ताव
केन्द्र सरकार ने अब बिड़ला कंपनी को कोयले की तरह हीरे का भी अंडर ग्राउंड खनन का प्रस्ताव दिया है। यह भी कहा है कि अंडर ग्राउंड माइनिंग से वन और पर्यावरण को बचाया जा सकेगा। इस प्रस्ताव पर भी कंपनी ने कहा कि हीरे की अंडर ग्राउंड माइनिंग नहीं की जा सकती। अब केन्द्र इस मामले में फिर से विचार कर रही है।
एडवाइजरी कमेटी का निर्णय अंतिम
वन एवं पर्यावरण की अनुमति के बाद सुप्रीम कोर्ट के अधीन गठित फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी इसका परीक्षण करेगी। परीक्षण रिपोर्ट के बाद ही बिड़ला कंपनी को हीरा खनन करने के संबंध में अनुमति दी जा सकेगी। इस मामले में करीब तीन वर्ष का समय लग सकता है। इधर, हाईकोर्ट की रोक के चलते भी परियोजना का काम बंद पड़ा है। खनिज साधन विभाग प्रमुख सचिव, सुखवीर सिंह ने कहा कि कंपनी को हीरा खनन चालू करने के लिए तीन वर्ष का समय दिया है। दो वर्ष तक समय सीमा बढ़ाने का प्रावधान है।
Published on:
12 Jan 2022 07:54 pm
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