
lock on engineers state chapter
भोपाल. भेल इलाके में धनवंतरि पार्क के सामने स्थित द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के स्टेट चैप्टर मुख्यालय पर दो-दो ताले डले हुए हैं। एक ताला कार्यकारिणी का है वहीं दूसरा ताला शुक्रवार रात भेल के एजीएम नीरज दवे ने साथियों के साथ डाला है। दवे जून २०१७ में हुए चुनाव में स्टेट चैप्टर के अध्यक्ष चुने गए थे, लेकिन गड़बडि़यों की शिकायत के बाद एसोसिएशन के कोलकाता स्थित नेशनल हेडक्वार्टर ने
इस चुनाव में अवैध वोटिंग की बात पाते हुए फिर से चुनाव कराने और तब तक एजीएम दवे को कोई कदम न उठाने की हिदायत दी है। स्टेट चैप्टर पर अध्यक्ष और सचिव के रूप में कौन काबिज होगा इस मुद्दे से इतर एसोसिएशन भवन में १८ सालों से देखरेख कर रहे चौकीदार का परिवार बंधक बना हुआ है। घर का सामान लेने के लिए चौकीदार दीपक को छह फीट की दीवार कूदकर आना-जाना पड़ रहा है, लेकिन उसकी पत्नी चार दिनों से परिसर से बाहर तक नहीं निकल सकी है।
मैं लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया अध्यक्ष हूं, लेकिन विरोधी गुट के लोग हमें काम करने से रोकने के लिए राजनीति कर रहे हैं। ताला राजनीति उन्होंने ही शुरू की है, वे आफिस पर ताला लगाकर काम होने से रोक रहे हैं, हमने कई बार निवेदन किया लेकिन जब उन्होंने तालाबंदी जारी रखी तब हमने वहां अपना ताला डाला।
नीरज दवे, एजीएम, भेल
गेट पर एसोसिएशन समिति का ताला रहता है जिसकी चाबी मेरे पास रहती है। शुक्रवार रात साढ़े सात बजे नीरज दवे कुछ लोगों के साथ आए और गेट पर बाहर से एक ओर ताला डाल दिया। मैने साहब से कहा कम से कम मुझे एक चाबी दे दो जिससे मेरा परिवार बाहर निकल सके, लेकिन उन्होंने बात नहीं सुनी। चार दिनों से हम यहां कैद हैं, पत्नी काम पर भी नहीं जा पा रही। जरूरी सामान लाने के लाले पड़े हैं साहब आप ताला खुलवा दीजिए।
दीपक तिवारी, चौकीदार इंजीनियर्स एसोसिएशन
'२०१७ में हुए चुनावों पर एक सदस्य राकेश राठौड़ ने आपत्ति ली थी। जिसके बाद हेडक्वार्टर भी चुनाव कराने के साथ दवे से इस पर कोई कदम न उठाने को लेकर बार-बार पत्र लिख चुका है, लेकिन एजीएम नीरज दवे ने शुक्रवार रात अपने साथियों के साथ पहुंचकर भवन परिसर के गेट पर ताला लगा दिया।
सुनील जोशी, निवर्तमान सचिव
'चुनावों में धांधली हुई जिसके खिलाफ मैं हाईकोर्ट गया था, लेकिन चैप्टर के नेशनल हेडक्वार्टर ने खुद जांच करने की बात कहते हुए केस वापस करवा दिया। हेडक्वार्टर की जांच में प्रदेश से बाहर पदस्थ सदस्यों का वोट करना और कई अयोग्य सदस्यों का भी वोट करना पाया गया जिसके बाद फिर से चुनाव कराने के निर्देश हुए।
हेडक्वार्टर के निर्देश पर दवे १० अप्रैल को स्टे लाए। स्टे का मतलब यथास्थिति रखना था लेकिन उसकी आड़ में ११ अप्रैल को मीटिंग कर खुद को अध्यक्ष घोषित कर दिया, समिति का ताला तोडऩे की लिखित धमकी भेज दी। हेडक्वार्टर पत्र लिखकर उन्हें एेसा कदम न उठाने की बात कह चुका है। इस बीच २७ अप्रैल की रात उन्होंने परिसर पर ताला डाल दिया। स्टेट चेप्टर पर कब्जे के लिए भेल के इंजीनियर्स का यह गुट बिल्कुल निरकुंश हो गया है।
राकेश राठौर, चुनावों पर आपत्ति लगाने वाले सदस्य
Published on:
01 May 2018 08:11 am
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