
भेल नगर प्रशासन की उदासीनता के चलते यहां अनैतिक गतिविधियां संचालित होती हैं। शाम होते ही टाउनशिप के जर्जर पड़े आवास और जंगलों में असामाजिक तत्वों की अनैतिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं। हालात यह है कि शाम होने के बाद इन जगहों पर जाने और यहां से निकलने वाली सडक़ों से आने जाने वाले भेल कर्मचारियों को दुघर्टना की आशंका बनी रहती है। इस संबंध में कई बार भेल नगर प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है इसके बाद भी हालात वही ढाक के तीन पात जैसी है।
भेल टाउनशिप के हरे- भरे जंगल को काटकर बना रहे वीरान, अब पेड़ों की जगह ठूंठ दिखाई दे रहे
गौरतलब है कि भेल प्रबंधन और नगर प्रशासन द्वारा हरियाली बढ़ाने के लिए टाउनशिप के साथ ही आसपास क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर पेड़ पौधे लगाकर जंगल तैयार किया जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर भेल नगर प्रशासन की अनदेखी के कारण यह जंगल वीरान होते जा रहे हैं। लोग भवनों के खिडक़ी, दरवाजे, लोहे के एंगल, सरिया निकालने के साथ ही जलाऊ लकड़ी के लिए टाउनशिप में लगाए गए जंगल के पेड़-पौधों को भी काट रहे हैं।
लोग पहले हरे-भरे पेड़ों को काटकर छोड़ देते हैं, इनके सूख जाने के बाद इन्हें कुल्हाड़ी और आरा मशीन से काटकर ले जाते हैं। ऐसा ही नजारा रविवार को भेल टाउनशिप में देखने को मिला। यहां कुछ लोग सूखे पेड़ को आरा से काटकर टुकड़े- टुकड़े कर रहे थे, तो कुछ लोग कुल्हाड़ी से पेड़ों को काटते दिखाई दिए। लगातार कटते जा रहे पेड़ों के कारण पहले जहां जंगल होता था और जाने तक में डर लगता था, अब वहां पेड़ों की जगह ठूंठ दिखाई दे रहे हैं।
सूने आवासों में होती है चोरी की घटनाएं
टाउनशिप के इन आवासों में रहने वाले भेल कर्मचारियों के मकानों में चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। यहां भेल प्रबंधन का आवास बनाने का मकसद कर्मचारियों को सुविधाओं के साथ सुरक्षा देना था। मौजूदा समय में यहां के हालात कुछ और ही हैं। एक मकान में भेल कर्मचारी रह रहा है, तो दूसरे में असामाजिक तत्वों का डेरा है। ऐसे में भेल कर्मचारियों का वहां रहना मुश्किल हो रहा है। उनके साथ दुघर्टना की आशंका रहती है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि परिवार नहीं होने पर नाइट शिफ्ट की ड्यूटी जाने में भी चोरी होने का डर बना रहता है।
मुफ्त की बिजली पानी आवास का ले रहे लाभ
भेल के खाली आवासों में अवैध तौर पर रह रहे लोग और आसामाजिक तत्व मुफ्त में भेल के आवासों के साथ ही बिजली, पानी का उपयोग कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो कुछ आवासों में ई-रिक्शा की बैटरी तक चार्ज की जा रही है। वहीं भेल कर्मचारियों से इसके लिए भारी भरकम आवास सहित बिजली, पानी का बिल वसूला जा रहा है। भेल नगर प्रशासन के कर्मचारी और सिक्योरिटी गार्ड द्वारा लगातार भ्रमण भी किया जा रहा है, इसके बाद भी इन्हें यह सब दिखाई नहीं देता।
कबाडख़ाना चला रहे तो कुछ जानवर पाल रहे
गौरतलब है कि भेल टाउनशिप के इन खाली पड़े आवासों में कुछ लोगों द्वारा कबाडख़ाना, गैराज आदि चलाया जा रहा है, तो कुछ जानवर पाल कर कमाई कर रहे हैं। यहां कबाडख़ाना चलाने के लिए लोगों को न तो मकान का किराया देना पड़ता है न ही बिजली पानी का बिल भरना पड़ता है। यहां सब कुछ मुफ्त में मिल रहा है। कभी-कभार भेल नगर प्रशासन का अतिक्रमण विरोधी अमले का आना- जाना भी हुआ तो यहां कारोबार करने वाले लोग उन्हें समझ लेते हैं।
भेल टाउनशिप के क्वार्टरों का भिलाई पैटर्न पर कर्मचारियों को आवंटित किया जाए। इससे भेल का राजस्व भी बढ़ेगा और पूर्व की तरह पूरा टाउनशिप कर्मचारियों से भरपूर रहेगा। इससे अतिक्रमण और चोरी की घटनाओं में कमी आने के साथ ही भेल कर्मचारी भी सुरक्षित रहेंगे।
मिथलेश तिवारी, सचिव, हेम्टू इंटक यूनियन
पुलिस-प्रशासन का सहयोग नहीं मिलने से भी जमीन पर कब्जा और क्वार्टरों में अतिक्रमण हो रहा है। ऐबू बीएचईएल प्रबंधन से मांग करती रही है कि भेल कर्मचारी जितने भी क्वार्टर लेना चाहता है, उसे दिया जाए। इससे सुरक्षा के साथ साथ क्वार्टर भी मेंटेंन रहेंगे।
आशीष सोनी, सचिव व मीडिया पभारी ऐबू
Published on:
28 Jan 2024 09:19 pm
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